US Court Summons Ajit Doval: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है. एक अमेरिकी अदालत ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) समेत कई मौजूदा व पूर्व टॉप खुफिया अफसरों को समन भेज दिया है. यह समन खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatvant Singh Pannu) की तरफ से दाखिल सिविल केस में भेजा गया है, जिसमें खालिस्तानी आतंकी ने इन अधिकारियों पर अमेरिका में अपनी हत्या की कथित साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है. NSA को भेजे गए इस समन को लेकर भारत भड़क गया है. विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इसे पूरी तरह अनुचित बताते हुए इस पर विरोध जताया. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा,'हमारी जानकारी में यह मुद्दा आने के तत्काल बाद इससे निपटने के लिए एक हाई-लेवल कमेटी गठित की गई है. यह पूरी तरह से अनुचित केस है.'
इन लोगों को भेजा गया है नोटिस
यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट फॉर सदर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से भारतीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है. यह नोटिस भारत सरकार के साथ ही NSA अजीत डोभाल, भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व चीफ सामंत गोयल, रॉ एजेंट विक्रम यादव और भारतीय बिजनेसमैन निखिल गुप्ता को भेजा गया है. इन सभी पर गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है. इन सभी को अमेरिकी अदालत ने 21 दिन में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.
'हम पन्नू को 2020 में ही घोषित कर चुके हैं आतंकी'
विदेश मंत्रालय की गुरुवार दोपहर की ब्रीफिंग में मीडिया ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी (Vikram Misri) से इस नोटिस को लेकर सवाल पूछा. उन्होंने इस नोटिस को पूरी तरह अनुचित बताते हुए कहा,' मैं यह केस दाखिल करने वाले व्यक्ति की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहूंगा. पन्नू का इतिहास हर कोई जानता है. पन्नू एक कट्टरपंथी गैरकानूनी संगठन सिख फॉर जस्टिस का प्रमुख है, जिसे भारतीय नेताओं और संस्थानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और धमकियां देने के लिए हर कोई जानता है. नई दिल्ली उसे 2020 में ही आतंकवादी घोषित कर चुकी है.'
क्या है पन्नू की हत्या की साजिश का मामला
पिछले साल नवंबर में ब्रिटिश न्यूजपेपर फाइनेंशियल टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी. इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अमेरिका ने पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया है. पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है. इस न्यूज रिपोर्ट की पुष्टि बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी की थी. इस मामले में भारतीय नागरिकों के नाम सामने आने और उनका लिंक भारतीय खुफिया एजेंसियों से जुड़ा होने का दावा किया गया था. इस जानकारी के सामने आने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे चिंता की बात बताया था और भारत की तरफ से एक हाई-लेवल जांच शुरू करने की बात कही थी. इसके बाद से अमेरिका में इस मामले को लेकर जांच चल रही है. हालांकि भारत और अमेरिका, दोनों की ही तरफ से इस मुद्दे का असर आपसी रिश्तों पर नहीं पड़ने की बात कही जा रही है.
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