Akbaruddin Owaisi को कोर्ट ने किया आरोप मुक्त लेकिन साथ में दी यह नसीहत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 13, 2022, 10:29 PM IST

असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)

Akbaruddin Owaisi को भले ही कोर्ट ने बरी कर दिया हो लेकिन उन्हें साथ में नसीहत भी दी. पढ़िए यह रिपोर्ट

डीएनए हिंदी: तेलंगाना की एक विशेष अदालत ने AIMIM विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को ‘नफरत भरे भाषण’ से जुड़े मामलों में अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए बुधवार को बरी कर दिया. ओवैसी के खिलाफ ये मामले 2013 में दर्ज किए गए थे. विधायकों व सांसदों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष सत्र अदालत के न्यायाधीश के. जय कुमार ने फैसला सुनाया और कहा कि आरोपी के खिलाफ मामलों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं और उन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.

तेलंगाना विधानसभा में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी फैसला सुनाए जाने के समय अदालत में मौजूद थे. एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन पर ‘नफरत भरे भाषण’ देने को लेकर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे.

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ओवैसी पर एक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप था. उन्होंने आठ दिसंबर 2012 को तेलंगाना के निजामाबाद और 22 दिसंबर 2012 को निर्मल टाउन में अपने सार्वजनिक भाषणों के दौरान कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद दो जनवरी, 2013 को अकबरुद्दीन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे.

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उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और फिर जमानत पर रिहा किया गया था। अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने निजामाबाद मामले की जांच की थी और 2016 में आरोप पत्र दायर किया था. वहीं, निर्मल टाउन मामले की जांच जिला पुलिस ने की थी और उसी वर्ष आरोप पत्र दाखिल किया था। निजामाबाद मामले में कुल 41 गवाहों, जबकि निर्मल टाउन मामले में 33 लोगों से पूछताछ की गई थी.

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हालांकि अदालत ने फैसला सुनाते हुए मौखिक रूप से अकबरुद्दीन से कहा कि वह भविष्य में इस प्रकार के भड़काऊ भाषण नहीं दोहराएं और ऐसे समारोह नहीं आयोजित करें जिससे आम जनता को असुविधा हो. अदालत ने कहा कि कथित भड़काऊ भाषण के संबंध में पुलिस द्वारा पेश वीडियो क्रम में नहीं थे और इसमें निरंतरता का अभाव था. इसके अलावा पूरे भाषण का फुटेज नहीं था.

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तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि राज्य की टीआरएस सरकार ने AIMIM के साथ मिलीभगत की और अकबरुद्दीन ओवैसी के खिलाफ मामलों में अदालत में "जानबूझकर" सबूत पेश नहीं किए, जिससे उन्हें बरी कर दिया गया. राज्य भाजपा ने एक बयान में दावा किया कि बरी होना आश्चर्यजनक है क्योंकि पूरी दुनिया ने एक समुदाय के खिलाफ अकबरुद्दीन ओवैसी के "घृणास्पद भाषण" को देखा है.

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भाजपा ने मांग की कि अगर राज्य सरकार ईमानदार है तो उसे अपील करनी चाहिए. पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि 2009 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी अकबरुद्दीन के खिलाफ एक मामले को कमजोर बना दिया था. इस बीच, AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने अपने छोटे भाई के बरी होने पर खुशी जताई. उन्होंने ट्वीट किया, "अकबरुद्दीन ओवैसी को सांसद - विधायक विशेष अदालत ने उनके खिलाफ दो आपराधिक मामलों में बरी कर दिया है... वकील अब्दुल अज़ीम एसबी और वरिष्ठ वकीलों को विशेष धन्यवाद जिन्होंने अपनी बहुमूल्य सहायता प्रदान की."

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अकबरुद्दीन ओवैसी