डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बिहार की राजधानी पटना (Patana) में विपक्षी दलों की एकजुटता की कवायद को शुक्रवार को फोटो सेशन और तमाशा करार दिया है. बीजेपी ने इमरजेंसी का जिक्र करके मेजबान नेताओं को भी याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ही उन्हें मीसाबंदी बनाकर जेल में डाला था. ये बयान किसी और के नहीं बल्कि बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह के हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि विपक्षी दल कितने भी एकजुट हो जाएं लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय है, वहीं बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि जिन नेताओं ने हमेशा कांग्रेस के विरोध की राजनीति की वे आज पटना में एक-दूसरे से गलबहियां कर रहे हैं.
'पटना में चल रहा है फोटो सेशन'
जम्मू में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, 'आज पटना में एक फोटो सेशन चल रहा है. सारे विपक्ष के नेता एक मंच पर इकट्ठा हो रहे हैं और संदेश देना चाहते हैं कि हम बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देंगे.'
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BJP को 2024 में जीत पर है भरोसा
अमित शाह ने कहा, 'मैं सारे विपक्ष के नेताओं को यह कहना चाहता हूं कि कितने भी हाथ मिला लो, आपकी एकता कभी संभव नहीं है और हो भी गई. कितने भी इकट्ठा हो जाइए और जनता के सामने आ जाइए. 2024 में 300 से ज्यादा सीटों के साथ नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय है.'
'तारीख देखकर हो रहा बिहार में तमाशा'
अमित शाह ने प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे के बीच बैठक का आयोजन करने के लिए विपक्षी दलों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'इन लोगों ने ये तमाशा तारीख देखकर किया है. तीन दिन से प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे पर हैं. बहुत समय बाद भारत के प्रधानमंत्री की राजकीय यात्रा हो रही है. जिस प्रकार का सम्मान उन्हें अमेरिका में मिला है वह न तो पूर्व में कभी हुआ है और ना ही भविष्य में कभी होगा.'
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विपक्ष के करीब 15 प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं की एक बैठक पटना में हुई. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके दल भारतीय जनता पार्टी को कड़ी चुनौती देने के मकसद से एक मजबूत मोर्चा बनाने की रणनीति पर मंथन हो रहा है.
कौन है विपक्षी एकता के अगुवा?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस बैठक की मेजबानी की. यह बैठक मुख्यमंत्री आवास ‘1 अणे मार्ग’ पर हुई. उधर, ओडिशा के कालाहांडी जिले के भवानीपटना में एक रैली को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि आज जब सभी विपक्षी दल पटना में गलबहियां कर रहे हैं तो उन्हें आश्चर्य होता है कि कांग्रेस विरोध के साथ अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने वाले नेताओं की स्थिति क्या से क्या हो गई है.
'कांग्रेस सरकार के काम याद दिला रही बीजेपी'
जेपी नड्डा ने कहा, 'यही लालू प्रसाद यादव पूरे 22 महीने जेल में रहे. कांग्रेस की इंदिरा, राहुल की दादी ने उन्हें जेल में डाला था. यही नीतीश कुमार पूरे 20 महीने जेल की सलाखों के पीछे रहे. कांग्रेस की इंदिरा गांधी ने उन्हें जेल में डाला था.'
बीजेपी को जीत पर क्यों है भरोसा?
बीजेपी नेताओं के मुताबिक विपक्षी एकता सिर्फ तस्वीरों तक सिमटी है. भले ही ममता बनर्जी से लेकर शरद पवार तक इस बैठक का हिस्सा हों लेकिन सभी दलों का एकजुट होकर बीजेपी के साथ आना आसान नहीं है. सभी दलों के राजनीतिक हित एक-दूसरे से टकराएंगे. कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सभी दल, पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में सियासी लड़ाई भूलकर बीजेपी को हराने के लिए 2024 में सारे विपक्षी दल एक साथ आ जाएंगे, इस पर लोग यकीन कम कर पा रहे हैं. उदाहरण पश्चिम बंगाल का भी ले सकते हैं, ऐसा नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस, दोनों पार्टियां साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ लेंगी.
बीजेपी ने इमरजेंसी का क्यों किया है जिक्र?
25 जून 1975 को देश में आपातकाल घोषित किया गया था. यह 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की लंबी अवधि तक रहा. इस कालखंड में विरोधियों को ‘मेनटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट’ (मीसा) के तहत जेल में डाल दिया गया था. नीतीश और लालू भी उन नेताओं में शुमार हैं जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई थी. इसके बाद आगे चलकर दोनों ही बिहार की राजनीति में प्रमुख नेता बनकर उभरे थे. अब बीजेपी दोनों दलों के नेताओं को याद दिला रही है कि जिसके खिलाफ लड़े थे, अब उसके साथ लड़ रहे हैं. बीजेपी को भरोसा है कि यह बेमेल गठजोड़ ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा. 2024 से पहले विपक्षी दलों की दोस्ती टूट सकती है. (इनपुट: PTI)
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