Amritpal Singh Surrender: अकाल तख्त और सिख संगठनों ने खालिस्तानी मंसूबों को दिया झटका, क्या अब सरेंडर कर देगा अमृतपाल सिंह?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 07, 2023, 08:11 AM IST

Amritpal Singh

Amritpal Singh सुरक्षा बलों के सक्रिय होने के बाद से फरार है. पिछले दिनों उसने वीडियो जारी किया था. इसमें उसने अकाल तख्त और अन्य सिख संगठनों से सरबत खालसा बुलाने को कहा था लेकिन अब संगठनों ने ही उसे झटका दे दिया है.

डीएनए हिंदी: पिछले 20 दिनों से फरार खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' संगठन के मुखिया अमृतपाल सिंह का अभी तक कोई अता पता नहीं है. पंजाब पुलिस से लेकर केंद्रीय जांच एजेंसियां उसे ढूंढने में एक्टिव हैं और उसके संगठन के सैकड़ों लोगों को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर रखा है. इस बीच खबर थी कि अमृतपाल सिंह सरेंडर कर सकता है लेकिन उसने एक वीडियो जारी कर अकाल तख्त और सिख संगठनों से सरबत खालसा बुलाने की मांग की थी. अब अमृतपाल को इस मुद्दे पर भी झटका लगा है क्योंकि संगठनों ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया है. इसके चलते यह सवाल उठ रहा है कि क्या अमृतपाल सिंह अब पुलिस और जांच एजेंसियों के सामने सरेंडर कर सकता है. 

सरबत खालसा बुलाने का अधिकार अकाल तख्त के पास होता है और इसीलिए अमृतपाल सिंह ने अकाल तख्त से यह मांग की थी लेकिन उसे अब झटका लगा है. जानकारी के मुताबिक श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो में 12 से 15 अप्रैल तक खालसा सजना दिवस और बैसाखी को समर्पित गुरमति कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है. ऐसे में यह साफ है कि अकाल तख्त कोई भी सरबत खालसा नहीं बुलाने वाला है.

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क्या होती है सरबत खालसा? 

अब सवाल यह भी है कि आखिर सरबत खालास क्या होता है तो बता दें कि यह एक खास सभा होती है. इसमें सरबत का मतलब 'सभी' और खालसा का मतलब 'सिख' होता है. बता दें कि जरूरी नहीं कि सभी सिख खालसा हों, पर हर खालसा सिख होता ही है, इसीलिए इसे सरबत खालसा कहा जाता है और सभी अहम मुद्दों पर चर्चा होती है. गौरतलब है कि पहली सरबत खालसा सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने सन् 1708 बुलाई थी.

क्या बोला थाअमृतपाल सिंह

बता दें कि  खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल ने 29 मार्च को अपना पहला वीडियो जारी कर भारत और विदेशों में सिख समुदाय के लोगों से अन्याय के खिलाफ लड़ने का ऐलान किया था. अमृतपाल सिंह ने कहा था कि जत्थेदार को इस मामले में स्टैंड लेना चाहिए और सभी जत्थेदार और टकसाल को भी सरबत खालसा में भाग लेना चाहिए जिसस अन्याय के खिलाफ लड़ाई की जा सके. हालांकि सिख संगठनों ने उसकी बातों को कोई महत्व नहीं दिया है. सिख संगठनों ने कहा है कि उग्रवाद ने हमें जो जख्म दिए थे, वे अब भी खुले हुए हैं.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह के ज्यादातर साथी पकड़े जा चुके हैं. जानकारी के मुताबिक अमृतपाल की मदद करने वाला उसका गुरु पप्पलप्रीत भी उससे अलग हो चुका है. पुलिस का कहना है कि वह पंजाब में ही कही छिपा बैठा है और अब उसके पास भागने का कोई रास्ता नहीं बचा है. अमृतपाल सिंह ने  धर्म के नाम पर सिख संगठनों का समर्थन जुटाने की कोशिश की थी लेकिन उसमें नाकामयाब होने के बाद वह चौतरफा घिर चुका है. 

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