डीएनए हिंदी: Jammu Kashmir Encounter- जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में भारतीय सुरक्षाबलों के हाथ मंगलवार को बड़ी सफलता लगी है. सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर उजैर खान (Lashkar-e-Taiba commander Uzair Khan) को ढेर कर दिया है. एक अधिकारी ने बताया कि उजैर खान के एनकाउंटर के साथ ही अनंतनाग जिले के कोकेरनाग के जंगलों में पिछले मंगलवार की शाम को शुरू हुआ ऑपरेशन सात दिन बाद पूरा हो गया है.
अनंतनाग एनकाउंटर में उजैर खान के नेतृत्व में ही आतंकियों ने भारतीय सुरक्षाबलों पर हमला किया था. इस हमले में 19 राजपूताना राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट शहीद हो गए थे. इसके बाद से ही सेना ने पूरे इलाके को घेरा हुआ था और ड्रोन आदि की मदद से घने जंगलों में आतंकियों की तलाश चल रही थी. लगातार जंगल में जगह-जगह आतंकियों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ हो रही थी, जिसे सेना के दो अन्य जवान भी शहीद हुए थे. अब यह एनकाउंटर पूरा हो गया है.
उजैर खान के साथ मिली एक और आतंकी की लाश
जम्मू-कश्मीर पुलिस के ADGP विजय कुमार के मुताबि, LeT कमांडर उजैर खान मारा गया है. उसके साथ एक हथियार भी बरामद हुआ है. उजैर खान की लाश के साथ ही एक अन्य आतंकी की लाश भी बरामद हुई है. इसके साथ ही सात दिन लंबा अनंतनाग एनकाउंटर खत्म हो गया है. उजैर खान के साथ बरामद हुई दूसरे आतंकी लाश की पहचान की जा रही है.
12 सितंबर को शुरू हुआ था ऑपरेशन गैरोल
कोकेरनाग के जंगलों में गैरोल गांव में आतंकी छिपे हुए थे. इसके चलते सेना ने 12 सितंबर को अनंतनाग एनकाउंटर को 'ऑपरेशन गैरोल' का नाम दिया था. लगातार घिरे हुए होने के बावजूद घने जंगलों और गहरी खाइयों के कारण आतंकियों तक पहुंचने में सेना सफल नहीं हो पा रही थी. पीर पंजाल की इन पहाड़ियों को बेहद दुर्गम इलाका माना जाता है. ये जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ से लेकर पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में मुजफ्फराबाद तक करीब 170 किलोमीटर इलाके में फैली हुई हैं. दुर्गम इलाके के कारण ही आतंकी इस जगह का इस्तेमाल छिपने के लिए करते हैं. यही कारण था कि सेना लगातार घेराबंदी के बावजूद आतंकियों तक नहीं पहुंच पा रही थी.
ड्रोन को शामिल किया ऑपरेशन में, तब पलटी बाजी
सेना ने लगातार कोशिश के बावजूद आतंकियों तक पहुंच नहीं बनने पर इस ऑपरेशन में हेरात ड्रोन को शामिल किया. इसके बाद बाजी पलट गई. ड्रोन की निगरानी के कारण सेना को आतंकियों की पूरी खबर मिल रही थी. साथ ही पहाड़ी गुफाओं में छिपे आतंकियों पर ड्रोन से रॉकेट अटैक भी किया गया. सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद ही आतंकियों की फायरिंग बंद हुई और सेना को आगे बढ़ने का मौका मिला. इससे आतंकियों पर शिकंजा कस गया और आखिरकार अब सेना ऑपरेशन पूरा करने में सफल रही है.
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