डीएनए हिंदी: Arunachal Pradesh News- चीन सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश में क्रैश हुए सेना के चीता हेलीकॉप्टर का मलबा मिल गया है. इस क्रैश में हेलीकॉप्टर में सवार दोनों पायलटों के शव बरामद हो गए हैं. भारतीय सेना ने इसकी पुष्टि कर दी है. सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि शहीद पायलटों के नाम लेफ्टिनेंट कर्नल वीवीबी रेड्डी और मेजर जयंत ए. हैं. सैन्य प्रवक्ता ने यह भी कहा है कि इस हादसे की जांच के लिए सेना की तरफ से कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के ऑर्डर दिए गए हैं.
भारतीय सेना की तीनों विंगों के 18 से ज्यादा हेलीकॉप्टर पिछले 6 साल के दौरान हादसे के शिकार हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा हादसे 50 साल से ज्यादा पुराने हो चुके चीता हेलीकॉप्टरों के ही हैं, जिन्हें मिग-21 फाइटर जेट्स की तरह ही 'हवाई ताबूत' कहा जाने लगा है. इसके बावजूद चीता हेलीकॉप्टर अपनी ताकत और खासियत के बूते अब भी भारतीय सेना की पसंद बना हुआ है.
सुबह 9.15 के करीब हुआ था हादसा
ऑपरेशनल ड्यूटी पर निकले चीता हेलीकॉप्टर से एयर ट्रैफिक कंट्रोल का आखिरी बार संपर्क बृहस्पतिवार सुबह 9.15 बजे के करीब हुआ था. भारतीय सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत के मुताबिक, उस समय हेलीकॉप्टर बोमडिला के पश्चिम में मंडाला के पास उड़ान भर रहा था. इसके बाद उसका संपर्क ATC से टूट गया था.
ग्रामीणों ने ढूंढ ली थी क्रैश साइट, पायलट थे लापता
अरुणाचल प्रदेश पुलिस के मुताबिक, लापता हुआ चीता हेलीकॉप्टर मिस्सामरी से सेंगे गांव के रूट पर उड़ान भर रहा था. इसी दौरान उससे संपर्क टूट गया. दोपहर करीब 12.30 बजे दिरांग पुलिस स्टेशन के गांव बांगजलेप के ग्रामीणों ने क्रैश हुए हेलीकॉप्टर के अवशेष देखकर पुलिस को सूचना दी है. पायलटों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली थी.
कोहरे के कारण हुआ हादसा, 5 मीटर थी विजिबिल्टी
अरुणाचल प्रदेश पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि दुर्घटना का कारण उस इलाके में बुधवार सुबह से ही बहुत ज्यादा कोहरा होने को माना जा रहा है. मौसम विभाग के हिसाब से दुर्घटना के समय इलाके में महज 5 मीटर दूरी तक की विजिबिल्टी थी, जिसके कारण क्रैश होने की संभावना है. प्रवक्ता के मुताबिक, हेलीकॉप्टर में सेना ने दो पायलट सवार होने की जानकारी दी है. सेना, पुलिस और एसएसपी की सर्च व रेस्क्यू टीमें क्रैश स्पॉट की तरफ रवाना हो गई हैं. क्रैश स्पॉट वाले इलाके में किसी भी तरह के कम्युनिकेशन सिग्नल नहीं होने के कारण अब तक कोई फोटो उपलब्ध नहीं हुआ है.
पिछले साल भी तवांग में क्रैश हुआ था चीता, छह साल में 18 से ज्यादा हादसे
अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल भी भारतीय सेना का चीता हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था. तवांग के पास 5 अक्टूबर 2022 को हुए उस हादसे में भी चीता हेलीकॉप्टर ही दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसमें एक पायलट कर्नल सौरभ यादव की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. दूसरा पायलट गंभीर घायल हो गया था. इस घटना के 16 दिन बाद 21 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के ही लोअर सियांग जिले के सिंगिंग गांव में सेना का रूद्र हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था. उसमें भी पांच जवान थे.
लोकसभा में 17 दिसंबर 2021 को केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि साल 2017 से 2021 के बीच भारतीय सेना, वायुसेना और नेवी के 15 से ज्यादा हेलीकॉप्टर हादसों का शिकार हो चुके हैं. इसके बाद साल 2022 में 5 मार्च को उत्तरी कश्मीर के गुरेज सेक्टर में भारतीय सेना के चीता हेलीकॉप्टर के क्रैश होने से एक पायलट शहीद हो गए थे. फिर अक्टूबर, 2022 में तवांग और सियांग हादसे हो गए थे.
करीब 50 साल पहले खरीदे गए थे चीता हेलीकॉप्टर
भारतीय सेना में करीब 50 साल पहले चीता हेलीकॉप्टर पहली बार शामिल किए गए थे. साल 2007 से इन्हें सेना से रिटायर करने की बात चल रही है. फिलहाल सेना के पास करीब 37 चीता हेलीकॉप्टर हैं, जो खासतौर पर हिमालय की ऊंचाइयों में ऑपरेशन में काम आते हैं. चीता हेलीकॉप्टर फ्रांस की एरोस्पेशियल कंपनी ने अलौएट-2 के नाम से बनाया था. भारत में फ्रांस से मिले लाइसेंस पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इसका निर्माण करती है. पहली बार 17 मार्च 1969 को इस हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी थी. फ्रांस के जीन बोलेट ने 21 जून 1972 को चीता हेलीकॉप्टर को 12,442 मीटर (करीब 40,820 फीट) की ऊंचाई तक उड़ाकर ऐसा रिकॉर्ड बनाया था, जो आज तक कोई हेलिकॉप्टर नहीं तोड़ पाया है. भारत में भी करीब 17,715 फीट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर तक संपर्क के लिए यही एकमात्र साधन है.
पांच लोगों के साथ भर सकता है उड़ान
चीता हेलीकॉप्टर सिंगल इंजन वाला होने के बावजूद 4 यात्री व एक पायलट या 1135 किलोग्राम वजन लेकर उड़ान भर सकता है. चीता हेलीकॉप्टर की लंबाई 33.7 फुट और ऊंचाई 10.1 फुट है. इसकी अधिकतम गति 192 किलोमीटर प्रति घंटा है और एक बार में यह 515 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है.
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