डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ सुनवाई लगातार जारी है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी बुधवार को सुनवाई में शामिल होने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. इस दौरान उन्होंने संविधान का हवाला दिया. साथ ही हिंदुओं के आराध्य देव भगवान राम का भी हवाला दिया. उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए रामायण की चौपाई 'रघुकुल रीत सदा चलि आई, प्राण जाए पर वचन न जाई' याद करते हुए आर्टिकल 370 हटाए जाने की आलोचना की. साथ ही कहा कि आर्टिकल 370 का निरस्तीकरण मेरे लिए महज एक कानूनी मुद्दा नहीं है बल्कि ये भावनात्मक बात है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भाजपा का संसद में बहुमत का दुरुपयोग करना सबके सामने आ गया है.
भगवान राम के 'वचन' पर चल रही सुनवाई
महबूबा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर कहा, देश की संस्थाओं के साथ क्या हो रहा है, ये हम सब जानते हैं. हमें अब भी देश के सुप्रीम कोर्ट में भरोसा है. मैं सुप्रीम कोर्ट से अपील करती हूं कि देश 'रघुकुल रीत सदा चलि आई, प्राण जाए पर वचन न जाई' के उसूल में यकीन करता है. महबूबा ने कहा. मैं 'जय श्रीराम' के नाम पर लोगों की हत्याएं करने वाले उन्हें लिंच करने वालों की बात नहीं कर रही. मेरी बात उन बहुसंख्यक लोगों की है, जो रामचंद्र जी और उनके वचन में आज भी आस्था रखते हैं कि रघुकुल रीत सदा चलि आई, प्राण जाए पर वचन न जाई. इसलिए मैं सोचती हूं कि आज सुप्रीम कोर्ट में उस 'वचन' पर ही सुनवाई चल रही है.
जम्मू-कश्मीर के लिए भावनात्मक है मुद्दा
पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मुझे खुशी है सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 370 के मामले में सुनवाई कर रहा है. ये मेरे लिए महज कानूनी मामला नहीं है, ये जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए भावनात्मक मुद्दा भी है. आखिरकार चार साल इंतजार के बाद इसकी सुनवाई हो रही है. मुफ्ती ने कहा, हम जम्मू-कश्मीर के उन बेआवाज लोगों की आवाज बनने के लिए वकीलों के बहुत शुक्रगुजार हैं, जिन्हें बंदूक की नोक पर चुप रहने को मजबूर किया गया.
सुप्रीम कोर्ट की बहस में सामने आ रहा भाजपा का सच
महबूबा मुफ्ती ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में चल रही बहस के दौरान सत्ताधारी भाजपा का सच सामने आ रहा है. किस तरह भाजपा ने संसद में बहुमत का दुरुपयोग भारतीय संविधान को नुकसान पहुंचाने के लिए किया है. जम्मू-कश्मीर के लोगों से विशेष दर्जा वापस ले लिया गया. आज उस विचार का ट्रायल हो रहा है, जिसे भारत का विचार कहते हैं. यह देश का संविधान, न्यायिक तंत्र, लोकतंत्र है, जिसका आज ट्रायल हो रहा है.
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