अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के लोगों से किए 6 बड़े वादे, कहा- आपके साथ मेरा 'ईलू-ईलू' का रिश्ता

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 07, 2022, 03:11 PM IST

अरविंद केजरीवाल 

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब गुजरात में बदलाव होगा. हमारी सरकार बनी तो पूरे राज्य में फ्री बिजली दी जाएगी. उन्होंने कहा कि गुजरात की जनता के साथ उनका 'ईलू-ईलू' का रिश्ता है.

डीएनए हिंदी: गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) आज गुजरात के वडोदरा पहुंचे. यहां केजरीवाल ने एक सभा को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा और कई बड़े वादे किए. उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी गुजरात में सत्ता में आती है तो दिल्ली की तरह गुजरात में हर बेरोजगार को रोजगार देंगे. हर महीने 3,000 रुपये बेरोजगारी भत्ता, 10 लाख सरकारी नौकरियां, पेपर लीक के खिलाफ सख्त कानून बनाएंगे. 

केजरीवाल ने कहा कि अब गुजरात में बदलाव होगा. हमारी सरकार बनी तो पूरे राज्य में फ्री बिजली दी जाएगी. उन्होंने कहा कि गुजरात की जनता के साथ उनका 'ईलू-ईलू' का रिश्ता है. केजरीवाल ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची और पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम को लागू किया जाएगा. यह भी गारंटी दी कि गुजरात की आदिवासी सलाहकार समिति का नेतृत्व मुख्यमंत्री के बजाय समुदाय के एक व्यक्ति द्वारा किया जाएगा.

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गुजरात में इसी साल होंगे चुनाव
गौरतलब है कि गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है. दरअसल, संविधान की पांचवीं अनुसूची अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधी प्रावधानों से संबंधित है. पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम जिसे पेसा अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है जो 1996 में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था. पेसा अधिनियम के तहत देश के विभिन्न राज्यों को अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को मजबूत करने के लिए इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने को कहा गया था.

'पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू करेंगे'
दिल्ली के सीएम ने कहा, "हम संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को शब्दशः लागू करेंगे. हम पेसा अधिनियम को भी सख्ती से लागू करेंगे जो कहता है कि कोई भी सरकार ग्राम सभा की सहमति के बिना आदिवासी क्षेत्र में कार्रवाई नहीं कर सकती." उन्होंने कहा, "एक आदिवासी सलाहकार समिति है. इसका काम आदिवासी क्षेत्रों के विकास की निगरानी करना है कि धनराशि का उपयोग कैसे करना है. कानून कहता है कि आदिवासी सलाहकार समिति का अध्यक्ष आदिवासी होना चाहिए जबकि गुजरात में मुख्यमंत्री इस समिति का नेतृत्व करते हैं. यह रोका जा सकता है." 

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