Asaduddin Owaisi ने फिर दिया भड़काऊ बयान, बोले- वोट बैंक नहीं है मुस्लिम समुदाय 

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 14, 2022, 06:23 PM IST

Asaduddin Owaisi ने ज्ञानवापी मस्जिद में अदालत के आदेश पर हो रहे सर्वेक्षण को लेकर आक्रामक बयान दिया है.

डीएनए हिंदी: एक तरफ जहां ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है तो दूसरी ओर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने सर्वेक्षण पर फिर मुस्लिम कार्ड खेला है. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में कभी भी मुस्लिम वोटबैंक नहीं था और समुदाय कभी भी देश के शासन नहीं बदल सकता है. अगर ऐसा होता तो बाबरी मस्जिद पर कोर्ट का आदेश आया वो नहीं हो पाता और अब ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा सामने आया है. वो अब ज्ञानवापी मस्जिद पर हो रही कार्रवाई की तुलना अयोध्या की बाबरी  मस्जिद से कर रहे हैं. 

भारत में वोट बैंक नहीं हैं मुस्लिम

दरअसल,  Asaduddin Owaisi ने यह टिप्पणी वाराणसी की अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति देने और सर्वेक्षण शुरू होने के बीच आई है. AIMIM प्रमुख ओवैसी ने कहा, “मुसलमान देश में शासन नहीं बदल सकते. आपको गुमराह किया गया है. मुसलमान हमेशा सोचते थे कि वे वोट बैंक हैं लेकिन यह सच नहीं है, इस देश में कभी कोई मुस्लिम वोट बैंक नहीं था और न ही होगा.”

ओवैसी ने कहा, “भारत में एक बहुसंख्यक वोट बैंक रहा है और रहेगा. अगर हम एक शासन बदल सकते हैं तो संसद में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कम क्यों होगा? अगर हम सरकार बदल सके... तो बाबरी मस्जिद पर कोर्ट का आदेश आया और अब ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा सामने आया है.” 

विपक्षी राजनीतिक दलों पर बोला हमला

अपने संबोधन के दौरान ओवैसी ने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर मुसलमानों को धोखा देने का भी आरोप लगाया है. ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण पर वाराणसी की अदालत के फैसले को पूजा स्थल अधिनियम 1991 का घोर उल्लंघन बताया. कोर्ट के फैसले के दिन लोकसभा सांसद ने यह भी कहा था कि वह एक और मस्जिद नहीं खोना चाहते हैं और न ही वो ऐसा कुछ होने देंगे. 

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पहले भी दे चुकें हैं भड़काऊ बयान

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब Asaduddin Owaisi ने मुस्लिम वोटों पर बात की है. इससे पहले भी वो संसद से लेकर चुनावी राजनीति में इस तरह के बयान देते रहे हैं. वो लगातार लोगों को इस बात के लिए उकसाते रहे हैं कि मुस्लिम समाज अपना अलग प्रतिनिधि चुने.

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