Himanta Biswa Sarma: खत्म हो 'मदरसा' शब्द, घर पर पढ़ें कुरान, CM हिमंत बिस्वा सरमा ने की मांग

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 23, 2022, 03:09 PM IST

मदरसों की शिक्षा प्रणाली पर फिर उठ रहे हैं सवाल. (सांकेतिक तस्वीर)

मदरसों पर देश में नई बहस छिड़ी है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मदरसों को खत्म करने की अपील की है.

डीएनए हिंदी: असम (Assam) के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि मदरसा (Madrasa) शब्द का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और वैज्ञानिक बनने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए.

हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अब देश के सभी स्कूलों में एक समान और सामान्य शिक्षा पर जोर देना चाहिए. उन्होंने एक बार फिर मदरसों को खत्म करने की वकालत की है.

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'जब तक मदरसा रहेगा- बच्चे डॉक्टर इंजीनियर नहीं बनेंगे'

सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, 'जब तक यह शब्द रहेगा, तब तक बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बनने के बारे में नहीं सोच पाएंगे. अगर आप बच्चों से कहेंगे कि मदरसों में पढ़ने से वे डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनेंगे तो वे खुद ही जाने से मना कर देंगे.'
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बच्चों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है मदरसों में पढ़ाई, घरों में पढ़ाएं

असम के मुख्यमंत्री ने कहा, 'बच्चों को उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हुए मदरसों में भर्ती कराया जाता है. स्कूल में विज्ञान, अंग्रेजी, गणित जैसे विषयों पर जोर देना चाहिए. स्कूलों में सामान्य शिक्षा होनी चाहिए. धार्मिक ग्रंथों को घर पर पढ़ाया जा सकता है लेकिन स्कूलों में बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और वैज्ञानिक बनने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए. बच्चों को कुरान की शिक्षा भी घर पर ही देनी चाहिए.' 

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धार्मिक शिक्षा खिलाफ हैं हिमंत बिस्व सरमा

हिमंत बिस्व सरमा का रुख हमेशा से मदरसों के खिलाफ रहा है. साल 2020 में उनकी सरकार ने धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की वकालत करते हुए राज्य के सभी सरकारी मदरसों को भंग कर दिया था. मदरसों को सामान्य स्कूलों में बदलने का उन्होंने फरमान सुनाया था.

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