Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में भाजपा के अंदर लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद से चल रही सियासी सरगर्मी अब सबके सामने आ गई है. सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के अचानक दिल्ली पहुंचकर BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा से लंबी मुलाकात करने के बाद से ही सब लोग किसी बड़ी खबर का इंतजार कर रहे थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने की चर्चा भी शुरू हो गई थी. नड्डा के पहले मौर्य और फिर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात करने के चलते ये चर्चाएं और ज्यादा तेज हो गई थीं. इसके साथ ही मौर्य के 'सरकार से बड़ा संगठन' वाले ट्वीट ने भी आग में घी डाल दिया था. लेकिन अब ये सामने आया है कि फिलहाल प्रदेश में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने जा रहा है. पार्टी नेतृत्व उत्तर प्रदेश में होने जा रहे 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के रिजल्ट का इंतजार करेगा. उसके बाद राज्य में कैबिनेट से लेकर संगठन तक, सभी जगह पेंच कसे जाएंगे. हालांकि यह स्पष्ट कर दिया गया है कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की कोई योजना नहीं है, लेकिन कैबिनेट और संगठन में से रिजल्ट नहीं लाने वाले चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.
आइए 5 पॉइंट्स में बताते हैं आपको भाजपा की इस सियासी गहमागहमी में क्या चल रहा है-
1. सबसे पहला टास्क यूपी में उपचुनाव जीतना
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा चुनाव में आया रिजल्ट अब बीती बात हो गई है. फिलहाल पहला और एकमात्र टास्क पार्टी के लिए आगामी विधानसभा उपचुनाव हैं. राज्य में 10 सीट पर उपचुनाव होने हैं. ये सीटें सीसामऊ, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी, फूलपुर, मझवा, गाजियाबाद सदर, मीरापुर, खैर और कुंदरकी हैं. इनमें से ज्यादातर सीट विधायकों के लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनने से खाली हुई हैं. इन सीटों पर उपचुनाव जीतकर भाजपा यह साबित करना चाहती है कि राज्य में जनता के बीच उसकी पकड़ कम नहीं हुई है. सूत्रों के मुताबिक, नेतृत्व ने साफ कहा है कि राज्य में जो भी फेरबदल होगा, वो इन उपचुनाव के बाद ही किया जाएगा.
2. यूपी के लिए भाजपा नेतृत्व ने लिया है ये फैसला
भाजपा नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यूपी में मुख्यमंत्री नहीं बदला जाएगा यानी योगी आदित्यनाथ अपने पद पर बने रहेंगे. राज्य के जातीय समीकरणों और लोकसभा चुनाव के परिणाम के हिसाब से कैबिनेट मे फेरबदल होगा. कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जाएंगे और कुछ को बाहर की राह दिखाकर नए चेहरे मंत्री पद पर लाए जाएंगे. प्रदेश संगठन में भी फेरबदल होगा. इसमें तात्कालिक रूप से कुछ चेहरे हटाकर उनकी जगह नए चेहरे लाए जाएंगे. उपचुनाव निपटने के बाद संगठन के कामकाज की विस्तृत समीक्षा होगी और रिजल्ट नहीं लाने वाले चेहरों को बाहर किया जाएगा. फिलहाल बड़ा बदलाव इस कारण भी नहीं किया जा रहा है कि केंद्रीय स्तर पर भी भाजपा संगठन में बदलाव होना है. जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो चुका है और वे खुद केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहुंच चुके हैं. उनकी जगह नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना है. उत्तर प्रदेश से कई असंतुष्ट चेहरों को इस बदलाव में राष्ट्रीय स्तर पर जगह देकर संतुष्ट करने की तैयारी है.
3. मौर्य ने नड्डा तक पहुंचाई कार्यकर्ताओं की ये बात
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, केशव प्रसाद मौर्य ने जेपी नड्डा से मुलाकात में उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं के मन की बात बताई है. मौर्य ने नड्डा से प्रदेश में सरकार के कामकाज पर अफसरशाही हावी होने से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरने की बात कही है. उन्होंने आम कार्यकर्ता छोड़िए विधायक-सांसद तक की सुनवाई नहीं होने की बात बताई है. उन्होंने इसके चलते पार्टी का लोकसभा चुनावों जैसा ही हश्र 2027 के विधानसभा चुनावों में भी होने की चेतावनी दी है. मौर्य से मिली जानकारी के कारण ही नड्डा ने इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की है.
4. विपक्षी दलों के आक्रामक रुख के कारण भी बड़े फेरबदल से बचाव
भाजपा नेतृत्व प्रदेश में फिलहाल कोई बड़ा फेरबदल इस कारण भी नहीं करना चाहता है, क्योंकि पार्टी की अंदरूनी गहमागहमी बाहर आने पर विपक्षी दलों ने भी आक्रामक रुख अपना लिया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट में भाजपा की इस रार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा,'भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में, उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है. तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम भाजपा दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है. इसीलिए भाजपा अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है. जनता के बारे में सोचनेवाला भाजपा में कोई नहीं है.' भाजपा नेतृत्व का मानना है कि यदि फिलहाल कोई बड़ा फेरबदल किया जाता है तो इससे विपक्षी दलों को और ज्यादा आक्रामक होने का मौका मिलेगा और जनता में भी सही संदेश नहीं जाएगा. इस कारण भी बदलाव नहीं किया जा रहा है.
5. सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए भी उपचुनाव का लिटमस टेस्ट
भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पद से नहीं हटाया जा रहा है, लेकिन उनके लिए भी विधानसभा उपचुनाव को लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. इन चुनावों में भी भाजपा का खराब प्रदर्शन रहने पर उनके फैसलों पर सवाल उठ सकता है. यदि वे मुख्यमंत्री पद से नहीं हटे तो भी उनकी स्वतंत्रता को एक दायरे में बांधा जा सकता है. यह बात योगी आदित्यनाथ भी समझ रहे हैं और इसी कारण उन्होंने खुद विधानसभा उपचुनाव की कमान संभाल रखी है.
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