डीएनए हिंदी: World First Portable Hospital in Ayodhya- अयोध्या में 550 साल बाद रामलला के फिर से अपने घर में विराजमान होने की घड़ी अब नजदीक आ गई है. 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां चल रही हैं. इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए पूरे देश से लाखों श्रद्धालु अयोध्या उमड़ रहे हैं. ऐसे में उन श्रद्धालुओं की सुख-सुविधाओं का भी ध्यान रखने की कोशिश की जा रही है. इसी कारण केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुनिया का पहला पोर्टेबल अस्पताल अयोध्या भेज दिया है. पूरी तरह Made in India इस अस्पताल को प्रोजेक्ट भीष्म के तहत तैयार कर आरोग्य मैत्री क्यूब (Arogya Maitri Cube) नाम दिया गया है. दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे छोटा अस्पताल है, जिसे महज 8 मिनट में दुनिया में कहीं भी ऑपरेशन थिएटर तैयार कर मरीजों का इलाज शुरू किया जा सकता है. पूरा अस्पताल महज 1 घंटे में बनाया जा सकता है. सबसे खास बात ये है कि इसे आसानी से एयरलिफ्ट करके कहीं भी ले जाया जा सकता है. ऐसे में कैसी भी जगह कोई हादसा हो, वहां तत्काल इलाज शुरू किया जा सकता है.
अयोध्या में दो जगह बनाए जाएंगे ये पोर्टेबल अस्पताल
आरोग्य मैत्री पोर्टेबल अस्पताल महज एक छोटे से क्यूब्स से तैयार हो सकता है. ऐसे दो क्यूब्स अयोध्या भेजे गए हैं, जिनसे Airforce के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी अयोध्या में दो जगह लता मंगेशकर चौक और टेंट सिटी में दो अस्पताल तैयार करेंगे. आरोग्य मैत्री क्यूब प्रोजेक्ट के चीफ एयर वाइस मार्शल (रिटायर्ड) तन्मय रॉय हैं. उन्होंने बताया कि इनमें से हरेक पोर्टेबल अस्पताल में एयरफोर्स का एक डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ समेत कुल 6 लोग तैनात रहेंगे.
एक आरोग्य मैत्री अस्पताल संभाल सकेगा 200 मरीज
रॉय के मुताबिक, एक आरोग्य मैत्री क्यूब अस्पताल 400 मरीजों का इलाज संभाल सकता है. यह पोर्टेबल अस्पताल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के खास प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है, जो पहली बार दुनिया के सामने लाया जा रहा है. दावा है कि किसी भी तरह के डिजास्टर के वक्त यह अस्पताल 200 लोगों का इलाज करने में सक्षम है. साथ ही इसमें 25 लोगों के टेस्ट एक साथ एक वक्त पर किए जा सकते हैं. इसमें 48 घंटे तक 100 लोगों को रखा जा सकता है. ऐसे में इमरजेंसी से लेकर सर्जरी तक, आग लगने, युद्ध, बाढ़, भूकंप यानी हर तरह की आपदा के पीड़ित के लिए ये अस्पताल संजीवनी है.
36 खानों में बंद अस्पताल मानो कोई खेल
आपने अगर कभी 'Rubik’s Cube' खेला हो तो सोचिए कि रूबिक्स क्यूब जैसा अस्पताल कितना छोटा हो सकता है. लेकिन भारत ने दुनिया का सबसे छोटा इमरजेंसी अस्पताल तैयार कर लिया है, जो रूबिक्स क्यूब के खेल जैसे ही 36 चौकोर खानों में बंद है. आसमान से जमीन पर या पानी में कहीं भी फेंका जा सकता है और ये उससे खराब नहीं होगा.
पीएम मोदी ने दिया था एक साल पहले टारगेट
यह अस्पताल बनाने का टारगेट एक साल पहले पीएम मोदी ने रक्षा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को दिया था. तब शुरू किया गया था प्रोजेक्ट भीष्म, जिसके तहत HLL lifecare के सहयोग से यह अस्पताल सामने आया है. इस एक अस्पताल की लागत करीब 2.5 करोड़ रुपये बैठती है. कोविड वैक्सीन मैत्री की तरह ही भारत आरोग्य मैत्री अभियान के तहत ये अस्पताल भी श्रीलंका और म्यांमार की सरकार को तोहफे में दे चुका है.
ऐसा है आरोग्य मैत्री अस्पताल
- करीब 720 किलोग्राम वजन वाले इस अस्पताल में लोहे के तीन क्यूबिकल्स हैं.
- तीनों क्यूबिकल्स में 12 अलग-अलग बॉक्स और 36 खाने होते हैं.
- ये क्यूबिकल्स तीन हिस्सों मेडिकल सप्लाई, सर्वाइवल सप्लाई और नॉन मेडिकल सप्लाई में बंटे हैं.
- मेडिकल सप्लाई बॉक्स में दवाओं और टेस्ट से लेकर ऑपरेशन थिएटर तक के सामान शामिल हैं.
- सर्वाइवल सप्लाई में इस अस्पताल के लिए काम करने वाले डॉक्टरों के रहने, खाने और सर्वाइव करने की व्यवस्था जैसे कुकिंग का सामान, कंबल और खाने पीने का सामान वगैरह है.
- नॉन मेडिकल सप्लाई बॉक्स में जेनरेटर, सोलर पैनल से लेकर बैटरी तक की व्यवस्था है.
- अस्पताल के तीन फ्रेम के बीच जेनरेटर फिट किया गया है और छत पर आपरेशन थिएटर.
- अस्पताल में आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर, बेड्स, दवाएं और खाने का सामान भी मौजूद है.
- अस्पताल को पूरी तरह सोलर एनर्जी और बैटरीज़ की मदद से चलाया जा सकता है.
- टेस्टिंग लैब, वेंटिलेटर, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड मशीन जैसे उपकरण से भी यह अस्पताल लैस है.
- फ्रैक्चर, हेड इंजरी, ब्लीडिंग या सांस की समस्या हो या एंटीबायोटिक और पेनकिलर सभी तरह की दवाएं भी मौजूद हैं.
कैसे होता है इस अस्पताल का संचालन
अस्पताल ऐसे काम करता है कि अंजान डॉक्टर या नौसिखिया मेडिकल एक्सपर्ट भी इसे तैयार कर सकता है. इसकी पूरी जानकारी भीष्म ऐप में है, जिसके लिए दो मोबाइल फोन साथ दिए जाते हैं. ये फोन ऑफलाइन सिस्टम यानी बिना इंटरनेट भी काम कर सकते हैं. इस ऐप में 60 अलग-अलग भाषाओं में पूरी जानकारी है. इसके अलावा आरएफआईडी टैग भी है. ये भी बिना इंटरनेट काम कर सकता है. किस खाने में क्या बंद है - ये बॉक्स के ऊपर तो लिखा ही है, लेकिन अगर जानकारी पढ़ी ना जा सके तो आरएफआईडी से हर बॉक्स के ऊपर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके भी एक मिनट में पता कर सकते हैं कि बंद बॉक्स में अंदर क्या है. क्यूआर कोड स्कैन करते ही ये पता किया जा सकता है कि किस बॉक्स में दवाएं हैं और उनकी एक्सपायरी डेट क्या है. साथ ही किस बॉक्स में फ्रैक्चर के इलाज का सामान है और किसमें एक्सरे करने की सुविधा.
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