Banaras Mercantile Co-operative Bank Closed: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक (Banaras Mercantile Co-operative Bank) का लाइसेंस रद्द कर दिया है. इसके साथ ही बैंक पर ताला लग गया है. केंद्रीय बैंक ने ये कदम BMCB की लगातार खराब होती वित्तीय स्थिति के कारण उठाया है. बैंक के आदेश में साफ कहा गया है कि 4 जुलाई के बाद बैंक किसी भी तरह का बैंकिंग कारोबार नहीं कर पाएगा. इससे बैंक के ग्राहक भी आज (शुक्रवार 5 जुलाई) से अपने खाते में ना तो पैसा जमा कर पाएंगे और ना ही खाते से पैसा निकाल पाएंगे. RBI ने उत्तर प्रदेश के सहकारिता आयुक्त व सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से भी बैंक के लिए लिक्वेडेटर अपॉइंट करने का आदेश जारी करने की अपील की है.
'बैंक का जारी रहना जमाकर्ताओं के हित में नहीं'
RBI ने बैंक का लाइसेंस रद्द करते हुए कहा कि सहकारी बैंक के पास कमाई की संभावनाएं नहीं है और न ही पर्याप्त पूंजी मौजूद है. ऐसे में बैंक का जारी रहना जमाकर्ताओं के हित में नहीं है. बैंक की मौजूदा वित्तीय स्थिति ऐसी है कि वो अपने जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान भी नहीं कर पाएगा. बनारस मर्केंटाइल बैंक पर RBI ने दिसंबर में ही प्रतिबंध लगा दिए थे. बैंक पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के सेक्शन 35 ए (35 A) के तहत प्रतिबंध लगाए गए थे कि किसी को भी लोन या एडवांस देने से पहले उसे RBI से इजाजत लेनी होगी. इसके बाद अब लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की गई है.
DICGC के जरिये मिलेगा कस्टमर्स को अपने खाते का पैसा
बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक के कस्टमर्स को यदि अब अपने बैंक खाते से पैसा निकालना है तो उन्हें जमा बीमा व लोन गारंटी निगम (DICGC) के पास आवेदन करना होगा. RBI ने कहा है कि बैंक से मिले आंकड़ों के हिसाब से 99.98 फीसदी जमाकर्ता DICGC के जरिये बैंक में जमा अपना पूरा पैसा वापस लेने के हकदार हैं. बता दें कि DICGC के जरिये आवेदन करने पर बैंक में जमा पूरा पैसा नहीं बल्कि अधिकतम 5 लाख रुपये ही किसी भी जमाकर्ता को वापस मिलते हैं. DICGC ने दावा किया है कि बैंक के कस्टमर्स को उसकी तरफ से पहले ही 4.25 करोड़ रुपये का भुगतान 30 अप्रैल तक किया जा चुका है. ये भुगतान कस्टमर्स की तरफ से DICGC Act के तहत आवेदन करने पर किया गया है.
क्या है DICGC, कैसे करता है भुगतान
डीआईसीजीसी RBI के तहत काम करने वाली संस्था है, जो जमाकर्ताओं के पैसे की सुरक्षा का ध्यान रखती है. डीआईसीजीसी हर बैंक खाते पर अधिकतम 5 लाख रुपये तक की रकम इंश्योर्ड करती है. यह रकम किसी बैंक के बंद होने पर उसके लिक्विडेशन के जरिये जमाकर्ताओं को लौटाने के काम डीआईसीजीसी का ही होता है. उदाहरण के लिए यदि आपके किसी बैंक खाते में 4 लाख रुपये जमा हैं और आपके दोस्त के 6 लाख रुपये जमा हैं तो बैंक पर ताला लगने की स्थिति में यह पैसा DICGC लौटाएगी. DICGC Act के तहत जमाकर्ताओं को अधिकतम 5 लाख रुपये की रकम ही लौटाई जा सकती है. ऐसी स्थिति में आपको पूरे 4 लाख रुपये मिलेंगे, लेकिन आपके दोस्त को 6 लाख में से 5 लाख रुपये ही वापस मिल पाएंगे. हालांकि भले ही DICGC आरबीआई से जुड़ी हुई संस्था है, लेकिन तब भी हर बैंक ने उसकी मेंबरशिप नहीं ले रखी है. ऐसे में यदि वो बैंक डूबता है तो उसके ग्राहकों का सारा पैसा भी डूब जाएगा.
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