डीएनए हिंदी: 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री (BBC Documantary) को लेकर विवाद थम नहीं रहा है. अब मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (TISS) में शनिवार शाम 7 बजे से छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग (Screening) शुरू कर दी. बताया जा रहा है कि TISS कैंपस में 200 से ज्यादा छात्रों ने लैपटॉप में बीबीसी की डॉक्यमेंट्री को देखा. इससे पहले पुलिस और TISS प्रशासन ने छात्रों सख्त हिदायत दी थी कि अगर कैंपस के अंदर स्क्रीनिंग की गई तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. वहीं, बीजेपी युवा मोर्चा ने स्क्रीनिंग के खिलाफ कैंपस के बाहर धरना-प्रदर्शन किया और इंस्टीट्यूट प्रशासन से इसे रोकने की मांग की.
TISS प्रशासन की ओर से एक नोटिस जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि इंस्टीट्यूट कैंपस के कुछ बच्चों ने 2002 के गोधरा दंगों पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करना चाह रहे हैं. इसी के मद्देनजर कैंपस के बाहर पुलिस वैन तैनात की गई है. बीजेपी युवा मोर्चा ने संस्थान प्रबंधन को पत्र लिखकर इस स्क्रीनिंग को रोकने की मांग की है.
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पुणे में की गई स्क्रीनिंग
उधर, पुणे स्थित भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) छात्र संघ ने प्रतिष्ठित संस्थान के परिसर में बीबीसी इस विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की. एफटीआईआई स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने जारी बयान में कहा, ‘26 जनवरी को बीबीसी के प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ का हमने कैंपस में स्क्रीनिंग की.’ एफटीआईआई के कुलसचिव सईद रबीहाशमी ने कहा, ‘यह जानकारी मिली है कि छात्रों के एक समूह ने डॉक्यूमेंट्री को देखा. मामले की जांच की जाएगी.’
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गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और अंबेडकर विश्वविद्यालय समेत कई शिक्षण संस्थानों में बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने के प्रयास किए गए हैं. केरल में गुरुवार को कांग्रेस ने इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाया था. केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया मंच ट्विटर और यूट्यूब को ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ नामक इस डॉक्यूमेंट्री के लिंक को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था. विदेश मंत्रालय ने इसे दुष्प्रचार सामग्री करार देते हुए कहा था कि इसमें तटस्थता की कमी है और औपनिवेशिक मानसिकता झलकती है.
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