क्योंकि हर एक सीट जरूरी होती है, झारखंड की चतरा सीट पर KBC में क्या था बिग बी का सवाल 

Written By पूजा मेहरोत्रा | Updated: Mar 27, 2024, 01:38 PM IST

BJP vs Congress vs RJD on Chatra Seat

झारखंड की चतरा Lok Sabha Seat इन दिनों चर्चा में बनी हुई है. इस सीट की खासियत यह है कि यहां आजादी के बाद से हुए चुनाव में कोई भी स्थानीय उम्मीदवार सांसद नहीं बना है. 

जैसे जैसे Lok Sabha Election का समय नजदीक आ रहा है सीटों को लेकर राजनीतिक पार्टियों का समीकरण और उम्मीदवारों की सूची इसे रोचक बना रही है. हालांकि कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी ने  उम्मीदवारों की सातवीं लिस्ट तक जारी कर दी है लेकिन अभी-भी कुछ मनोरंजक सीटों पर सस्पेंस जारी है. इनमें से एक है झारखंड की चतरा सीट. झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक महत्वपूर्ण सीट मानी जाने वाली चतरा में पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से तीन अनुसीचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. हालांकि इस सीट पर SC/ST के अलावा पिछड़ी जातियों का खासा दबदबा रहा है. 

वैसे तो लोकसभा चुनाव में हर एक सीट और हर एक वोट जरूरी होता है. और हर सीट पर स्थानीय उम्मीदवार पर पार्टियां दांव लगाती हैं. लेकिन चतरा की खासियत यह है कि यहां आजादी के बाद से हुए चुनाव में कोई भी स्थानीय उम्मीदवार सांसद बना ही नहीं है. 


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अब तक इस संसदीय क्षेत्र में 16 बार चुनाव हो चुका है लेकिन अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो कोई भी स्थानीय उम्मीदवार को सांसद बनने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है. इस विशेषता के कारण टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में शो के होस्ट अमिताभ बच्चन सवाल भी पूछ चुके हैं कि, " देश की वो कौन सी लोकसभा सीट है जहां आजादी के बाद से अब तक कोई भी स्थानीय व्यक्ति सांसद नहीं बना है."

18 वीं लोकसभा चुनाव की तैयारी के दौरान चतरा के लोगों ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. हालांकि भाजपा और इंडिया गठबंधन की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा तो नहीं की गई है लेकिन चुनाव प्रचार जोर शोर से शुरू हो चुका है और इस बीच लातेहार के पूर्व ब्यूरोक्रैट राजीव कुमार ने इस सीट पर अपना दावा ठोंक दिया है और चर्चा को और गर्मा दिया है.


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स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि जब  2018 में राजीव कुमार लातेहार के उपायुक्त थे तो इस IAS अधिकारी ने गांव वालों के विकास के लिए बहुत काम किया है और अपनी अलग पहचान बना ली है. और उसी काम और पहचान का दावा ठोकते हुए वो मैदान में उतरे हैं और उन्होंने ग्रामीणों से संपर्क साधना भी शुरू कर दिया है. यही नहीं भारतीय जनता पार्टी से पिछले दो बार के सांसद सुनील सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पीएम और गृहमंत्री का आभार व्यक्त कर दिया है जिसने चर्चा को और गर्मा दिया है. सुनील सिंह ने लिखा है ," चतरा लोकसभा क्षेत्र उनका परिवार है और उन्होंने उन सभी के प्रति आभार जताया है कि जिन्होने उन्हें दस साल का बहुमूल्य साथ सहयोग और आशीर्वाद दिया." अंदरखाने की खबर तो यह है कि वर्तमान सांसद सुनील कुमार सिंह का क्षेत्र में खासा विरोध हो रहा है. जबकि इंडिया ब्लॉक के लिए भी यहां एकमत होना संभव नहीं दिख रहा है क्योंकि कांग्रेस और राजद दोनों के प्रत्याशी इस सीट से अपना-अपना दावा पेश कर रहे हैं. 

चूंकि पूर्व आईएएस राजीव कुमार वहां दावा ठोंक चुके हैं और खबर ये भी है कि कई पॉलिटिकल पार्टीज उनके संपर्क में भी है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी चतरा सीट पर मंथन कर रही है और स्थानीय नेता काली चरण सिंह और शशिभूषण मेहता पर विचार भी किया जा रहा है. वहीं इस सीट पर राजद सत्यानंद भोक्ता पर दावा ठोक रही है.


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 महारानी से लेकर बिजनेसमैन तक रहे प्रत्याशी

देश के पहले चुनाव में रामगढ़ राजघराने की महारानी विजया राणे चुनाव लड़ी थीं और जीती भी थीं. हजारीबाग से ताल्लुक रखने वाली महारानी ने 1962 और 1967 में भी इस सीट से जीत हासिल की थी. जबकि 1972 के चुनाव में साहित्यकार शंकर दयाल सिंह ने चुनाव लड़ा और जीते. शंकर दयाल औरंगाबाद से थे और चुनाव लड़ने के लिए यहां पोर्ट किए गए थे. वहीं 1977 में भी बिहार के जहानाबाद निवासी सुखदेव वर्मा ने जनता पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ा और जीते. 1980 के चुनाव में गया के रणजीत सिंह और 1984 के चुनाव में वाईपी योगेश जो धनबाद से ताल्लुक रखते थे ने अपना भाग्य आजमाया और जीते भी. 

1989 में उपेंद्र वर्मा- गया से
1991 में उपेंद्र वर्मा-गया से
1996 में धीरेंद्र अग्रवाल-गया से
1998 धीरेंद्र अग्रवाल- गया से
1999-नागमणि- जहानाबाद से
2004 में धीरेंद्र अग्रवाल-गया से
2009 में इंदरसिंह नामधारी- पलामू से
2014 में सुनील कुमार सिंह- बक्सर
2019 में सुनील कुमार सिंह- बक्सर  

26 प्रत्याशी उतरे चुनावी रण में

2014 और 2019 में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला था. 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी सांसद सुनील कुमार सिंह ने आरजेडी के सुभाष प्रसाद यादव को हराया था. हालांकि इस सीट पर 17 निर्दलीय उम्मीदवार सहित कुल 26 प्रत्याशी चुनावी रण में उतरे थे. 

वहीं साल 2014 के चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. यहां से बीजेपी के सुनील सिंह ने कांग्रेस के धीरज साहू को वोट के अच्छे मार्जिन से हराया था. इस चुनाव में सुनील सिंह को 2 लाख 95 हजार वोट मिले थे, जबकि धीरज साहू को एक लाख 17 हजार वोट मिले थे. 

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