डीएनए हिंदी: नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने साल 2015 में भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project) नाम से एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किया. इसके तहत, सात चरणों में लगभग 35 हजार किलोमीटर सड़कें बनाने का लक्ष्य रखा गया. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भूमि अधिग्रहण और कई अन्य समस्याओं की वजह से इस परियोजना को पूरा होने में छह साल की देरी हो सकती है. इसके साथ ही, अब इस परियोजना पर आने वाला खर्च भी दोगुना बढ़कर लगभग 10.63 लाख करोड़ रुपये (अनुमानित) तक पहुंचने की उम्मीद है.
भारतमाला परियोजना में छह साल की देरी होने से अब इसके वित्त वर्ष 2027-28 तक पूरी होने की उम्मीद है. हालांकि, इसके लिए ज़रूरी है कि काम की मौजूदा गति बरकरार रहे. रेटिंग एजेंसी ICRA ने एक रिपोर्ट में कहा है कि परियोजना को 2021-22 तक पूरा करने का लक्ष्य था, जिसमें पहले ही काफी देरी हो चुकी है. इसके कारण लागत 99 प्रतिशत बढ़कर 10.63 लाख करोड़ रुपये पहुंच गयी है. इतना ही नहीं कच्चे माल की लागत और जमीन की बढ़ती कीमत को देखते हुए इसमें 15-20 प्रतिशत का और इजाफा हो सकता है.
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अब तक सिर्फ़ 60% हाइवे का ही हुआ आवंटन
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सात साल के दौरान कुल 34,800 किलोमीटर हाइवे में से केवल 60 प्रतिशत यानी 20,632 किलोमीटर का आवंटन दिसंबर, 2021 तक किया जा सका है. परियोजना का 23 प्रतिशत हिस्सा मार्च, 2022 तक पूरा हो गया. इस परियोजना में देरी का मुख्य कारण जमीन अधिग्रहण को लेकर समस्या, जमीन अधिग्रहण लागत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी और महामारी है. साथ ही, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को अतिरिक्त कर्ज के जरिए पैसे जुटाने पर भी ध्यान देना होगा.
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केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले हफ्ते ही संकेत दिए था कि वह NHAI को कोष के लिए बाजार का रास्ता अपनाने की अनुमति देने को तैयार हैं. CRISIL ने कहा है कि परियोजना का आवंटन वित्त वर्ष 2023-24 तक पूरा होने की उम्मीद है. इसमें यह माना गया है कि NHAI चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 6,000 से 6,500 किलोमीटर परियोजनाओं का आवंटन करेगा. हालांकि, वित्त वर्ष 2023-24 में परियोजनाओं के आवंटन में कमी से यह कार्य 2024-25 तक पूरा होगा.
लगातार हो रही देरी, बढ़ती जा रही है लागत
चुनावी साल 2018-19 में परियोजनाओं के आवंटन में भी देरी देखी गई थी. रिपोर्ट के अनुसार, अगर यह मान लिया जाए कि वित्त वर्ष 2022-23 से सालाना 4,500 से 5,000 किलोमीटर का काम होगा तब भी परियोजना 2027-28 तक पूरी हो पाएगी. यानी इसमें शुरुआती लक्ष्य 2021-22 के मुकाबले छह साल की देरी होगी.
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आपको बता दें कि भारतमाला परियोजना की घोषणा जुलाई 2015 में की गई थी. इसमें 24,800 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग और पूर्ववर्ती राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम के तहत लंबित 10,000 किलोमीटर राजमार्गों का विकास शामिल है. इसपर 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान रखा गया था. इस हिसाब से औसत खर्च 15.52 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर बैठता है.
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