डीएनए हिंदी : दुनिया ने मास्क कोविड के आने के बाद लगाना शुरू किया पर भारत के कई इलाक़ों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक था कि लोगों को सही से सांस लेने के लिए काफ़ी पहले से मास्क की आवश्यकता होती थी. देश में प्रदूषण के हालात 2021 में और बिगड़ गए. यहां का औसत सूचकांक 58.1 माइक्रोग्राम्स/क्यूबिक मीटर मापा गया जो कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन(World Health Organisation) के एयर क्वालिटी गाइडलाइन से दस गुना ज़्यादा है. गौरतलब है कि भारत के किसी शहर की आबोहवा का स्तर WHO की गाइडलाइन को पूरा नहीं कर पाता है.
सबसे अधिक प्रदूषित शहर हैं भारत के
दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में दिल्ली(Delhi) चौथे नंबर पर है, पहले नंबर पर राजस्थान का भिवाड़ी है. भिवाड़ी(Bhiwadi) के ठीक बाद उत्तर प्रदेश का ग़ाज़ियाबाद(Ghaziabad) है. ग़ाज़ियाबाद दिल्ली की पूर्वी सीमाओं के साथ बसा है. दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में दस भारत में हैं और उनमें से अधिकतर दिल्ली की सीमाओं के आस-पास बसे हैं. सौ प्रदूषित शहरों की सूची में भारत के 63 शहरों ने अपनी खराब आबोहवा के साथ जगह बनाई है. इनमें से आधे से अधिक हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हैं.
प्रदूषण हो कम तो दस साल अधिक जी सकेंगे दिल्ली के लोग
यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो(University of Chicago) के द्वारा किए गए शोध के अनुसार अगर दिल्ली और लखनऊ जैसे शहरों का प्रदूषण सूचकांक सुधरता है और ये दो शहर WHO की आदर्श एयर क्वालिटी लिस्ट में आ जाते हैं तो यहां के रहवासियों की उम्र औसतन कम से कम 10 साल बढ़ जाएगी. गौरतलब है कि देश भर में कई चीज़ों को भीषण प्रदूषणकारी के तौर पर इंगित किया गया है. इनमें गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण, कोयला भट्ठों के धुएं, इंडस्ट्रियल वेस्ट सरीख़ी चीज़ें शामिल हैं. दिए गए डाटा के मुताबिक़ देश के महानगरों में चेन्नई को छोड़कर लगभग हर जगह आबो-हवा की हालत बिगड़ी ही है.