डीएनए हिंदी: Bhopal News- मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गरीब बच्चों के लिए हॉस्टल चलाने की आड़ में धर्मांतरण कराने के खेल का खुलासा हुआ है. एक शिकायत के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission For Protection of Child Rights) की टीम के छापे के बाद यह मामला सामने आया है. भोपाल के बाहरी इलाके में खेतों के बीच अवैध तरीके से चल रहे हॉस्टल पर NCPCR टीम के छापे में 26 नाबालिग बच्चियां गायब मिली हैं, जिससे हड़कंप मच गया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में अपनी पार्टी की सरकार से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. इसके बाद भोपाल पुलिस हरकत में आई है ओर हॉस्टल संचालक के खिलाफ FIR दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी गई है. NCPCR के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने इसे लेकर मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र लिखा है, जिसमें 7 दिन के अंदर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है.
बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा था FIR
भोपाल से करीब 20 किलोमीटर दूर तारा सेवनिया गांव में एक मिशनरी संस्था ने आंचल बालिका छात्रावास संचालित कर रखा है. यह छात्रावास खेतों के बीच आबादी से अलग-थलग इलाके में बनाया गया है. इस हॉस्टल को संचालित कर रहा एनजीओ कथित रूप से गरीब बच्चों को रेस्क्यू करके लाने के बाद उनका संरक्षण करता है. हॉस्टल को लेकर कई शिकायत मिलने के बाद NCPCR की एक टीम ने शुक्रवार को यहां छापा मारा था. इस छापे में हॉस्टल के दस्तावेजों में 68 लड़कियों का रजिस्ट्रेशन पाया गया था, लेकिन मौके पर 41 लड़कियां ही मौजूद थीं. बाकी 26 नाबालिग बच्चियां गायब थीं, जिनके बारे में हॉस्टल संचालक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाया था. यहां मौजूद लड़कियां मध्य प्रदेश के अलावा, गुजरात और झारखंड की थीं. जांच के दौरान सामने आया कि यह हॉस्टल अवैध तरीके से संचालित हो रहा था यानी इसका कोई रजिस्ट्रेशन जिला प्रशासन के पास नहीं कराया गया है.
लड़कियों से कराया जाता है ईसाई धर्म का पालन
आरोप है कि इस हॉस्टल में लड़कियों को जबरन ईसाई धर्म का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है. इसके चलते हॉस्टल संचालन का मकसद धर्मांतरण होने की बात सामने आ रही है. मध्य प्रदेश बाल आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा के मुताबिक, हॉस्टल में बहुत सारे SC/ST बच्चे हैं, जिनमें से ज्यादातर हिंदू हैं और तीन मुस्लिम लड़कियां हैं. इन सभी पर ईसाई धर्म की परंपराओं को फॉलो करने के लिए दबाव बनाने की बात सामने आई है. यदि हमें इन बच्चों की जानकारी दी जाती तो हम इन्हें स्कॉलरशिप दे सकते थे. उन्होंने बताया कि हॉस्टल प्रशासन ने गायब बच्चियों के अपने अभिभावकों के पास लौट जाने का दावा किया है, जिसकी जांच की जा रही है. यह बड़ा सवाल है कि भोपाल के सेंटर पर विदिशा, बालाघाट, सीहोर, झारखंड और गुजरात तक से बच्चे कैसे आ रहे हैं.
आधी रात में क्यों आती हैं गाड़ियां, क्या हो रहा कुछ गलत काम?
स्थानीय लोगों ने NCPCR टीम को बताया है कि यह हॉस्टल 4-5 साल से चल रहा है. हॉस्टल की लड़कियों को बाहर निकलकर स्थानीय लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है. हॉस्टल में आधी रात को वाहन आते हैं और रात में ही वापस जाते हैं. इन वाहनों में कौन आता है या कौन जाता है. इसकी जानकारी किसी को नहीं है.
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत दर्ज हुआ केस
NCPCR चेयरमैन की तरफ से मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव को पत्र लिखने के बाद प्रशासन एक्टिव हो गया. परवालिया थाना पुलिस ने इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (Juvenile Justice Act Care and Protection of Children, 2015) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है जांच शुरू कर दी है. थाने की SDPO मंजू तिवारी ने मीडिया से कहा, हम अपराध की जांच कर रहे हैं. जांच में सामने आने वाले फैक्ट्स के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
शिवराज चौहान ने लगाई अपनी सरकार से गुहार
भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पार्टी की राज्य सरकार से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की गुहार लगाई है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, मेरी जानकारी में परवालिया पुलिस स्टेशन इलाके में बिना इजाजत के चल रहे चिल्ड्रंस होम से 26 बच्चियों के गायब होने का मामला आया है. मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए मैं सरकार से इसका संज्ञान लेकर तत्काल कार्रवाई करने की अपील करता हूं.
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