Pollution की वजह से कम हो रहे आपके जीवन के 2.2 साल - Research

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 02, 2022, 10:11 PM IST

Photo Credit: Zee News

भारत के बड़े शहरों में भी वायु प्रदूषण के कारण कम उम्र में लोगों की मृत्यु के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पढ़िए आरती राय की रिपोर्ट.

डीएनए हिंदीः पर्यावरण (Environment) में आ रही गिरावट एक चिंता का विषय है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) सबसे बड़ा खतरा बन गया है. पृथ्वी के तापमान में हर साल 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़त हो रही है. शिकागो विश्वविद्यालय (Chicago University) की 2021 में आयी एक रिपोर्ट के अनुसार हवा में फैल रहे प्रदूषण की वजह से  तकरीबन हर व्यक्ति अपने जीवन के 2.2 साल खो रहा है.

2019 में भारत में गई 17 लाख जानें 
दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाला देश भारत के बड़े शहरों में भी वायु प्रदूषण के कारण कम उम्र में लोगों की मृत्यु के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ICMR की दिसंबर 2020 में जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में  भारत में 1.7 मिलियन मौतें वायु प्रदूषण की वजह से हुई जो देश में हुई मौतों की संख्या का 18 प्रतिशत था.

इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि "पिछले दो दशकों में, भारत में (Fine Particulate Matter) PM2.5  के कारण होने वाली मौतों में 2.5 गुना की बढ़ी है. साल 1990 में जहां 2,79,500 मौतें हुई थी, जो साल 2019 बढ़कर 9,79,900 तक पहुंच गई है. अगर ग्रीन थिंक टैंक Centre for Science and Environment ( CSE ) के आकड़ों की माने तो भारत में  1.67 मिलियन मौतें प्रदूषण और प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के कारण हुई है. वही वर्ल्ड इकनोमिक फोरम (WEF) की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में प्रदूषण के कारण हर साल 1 मिलियन ज्यादा मौतें हो रही है. 

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दुनिया की 99 फीसदी आबादी  वायु प्रदूषण की जद में
हाल ही में आयी  WHO  की रिपोर्ट के अनुसार लगभग दुनिया की (99%) आबादी वायु प्रदूषण का खतरा झेल रही है. जिसकी वजह से कम उम्र में ही हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, कैंसर और निमोनिया सहित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. WHO के अनुसार दक्षिण एशिया के शहरों में वायु प्रदूषण के कारण कम आयु में लोगों की मृत्यु का आकंड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.  बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक साल में 24 हज़ार लोग समय से पहले की काल का शिकार बन गए. वहीं भारत के आठ शहरों, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, सूरत, पुणे और अहमदाबाद में ऐसे कुल एक लाख मामले आए हैं. 

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यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) की रिसर्च के अनुसार तेजी से बढ़ते दुनिया के TROPICAL CITES  में 14 साल में करीब 1,80,000 लोगों की मौत वायु प्रदूषण (Air  Pollution) बढ़ने की वजह से हुईं है. इसके अलावा यह भी अनुमान लगाया गया है कि घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से दुनियाभर में हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है . इसी के साथ WHO ने पर्यावरण में हो रहे बदलाव और प्रदूषण के  कारण  दुनियाभर में 2030 से  2050 के बीच  हर साल 2,50,000 और जानों को खोने की आशंका जताई है. 

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण 
शहर और शहरों में बड़ी संख्या में रहने वाली आबादी ही प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है. एक करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले महानगरों  और वहां की बड़ी-बड़ी  इमारतों और  कंक्रीट से बने मकान और  वाहन ही आज दुनिया भर में 75 फीसदी CO2 Emissions के लिए जिम्मेदार हैं.

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