Gyanwapi विवाद के बीच कुतुबमीनार पर बडा खुलासा, हिंदू धर्म से जुड़े होने के मिले सबूत

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 21, 2022, 09:04 PM IST

Gyanwapi Masjid विवाद के बीच कुतुबमीनार पर अंग्रेजों के जमाने की ASI की रिपोर्ट सामने आई है.

डीएनए हिंदी: मुगलों ने भारत पर जब तक शासन किया हमारी कई सांस्कृतिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाया. इतना ही नहीं इस दौरान कई हिंदू मंदिर भी मस्जिदों में बदल दिए गए. अब ऐसे ही सबूत कुतुब मीनार को लेकर सामने आ चुके हैं. कुतुब मीनार पर अंग्रेजों के जमाने की ASI की 150 साल पुरानी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट की एक रिपोर्ट सामने आई है. यह बताती है कि कुतुब मीनार के इस्लामिक साम्रज्य स्थापित होने से पहले मौजूद था. 

इस्लामिक साम्राज्य से पहले ही था कुतुब मीनार का वजूद 

ASI के तत्कालीन अधिकारी जे डी बेगलर द्वारा कुतुब मीनार में वर्ष 1871-1872 में किये गए सर्वेक्षण और बनाई गई रिपोर्ट में जे डी बेगलर ने कुतुब मीनार पर बड़े खुलासे किये थे. कुतुब मीनार और कुतुब मीनार परिसर के भारत में इस्लामिक साम्राज्य आने के सैकड़ों वर्ष पहले से मौजूद होने का दावा किया था. इस रिपोर्ट में इस दावे को लेकर कई सारे तथ्य भी दिए गए थे. 

ASI के तत्कालीन अधिकारी जे डी बेगलर ने आज से 150 वर्ष पहले 1871-72 में कुतुब मीनार पर किये गए अपने सर्वेक्षण में बताया था कि कुतुब मीनार के बाएं ओर पर बने प्रवेश द्वार हिंदी अक्षरों में संवत 259 लिखा है. कुतुब मीनार पर आज भी मौजूद कुछ शिल्पकृतियां सम्राट अशोक के समय से भी पहले हैं. इन शिल्पकृतियों से साबित होता है कि मीनार गुप्त काल से भी पहले बनवाई गई थी.

क्या कहती है रिपोर्ट

आपको बता दें कि ये रिपोर्ट के तीन पन्ने है जिनमें लाल घेरे में आप देख सकते हैं कि किस तरह कुतुब मीनार को हिंदू मंदिर से इस्लामिक इमारत में बदल दिया गया.    100 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में ASI के तत्कालीन अधिकारी जे डी बेगलर बताते हैं कि कुतुब मीनार पर मौजूद घंटे, कमल और त्रिभुजग यानी TRIANGLE के निशान तो असली हैं और खजुराहो मंदिर जैसी कारीगरी का नमूना पेश करते हैं लेकिन मीनार पर मौजूद अरबी के निशानों को देख कर लगता है कि कुतुब मीनार के पत्थरों को गहराई से काटने के बाद इन्हें लगाया गया है.

हिंदू मंदिर को तोड़कर हुआ निर्माण 

ASI ने 1871-72 के सर्वेक्षण में यह भी पाया था कि कुतुब मीनार और परिसर में बने मंदिरों को एक साथ एक ही समय मे बनवाया गया था. अपनी रिपोर्ट में जे डी बेगलर लिखते हैं कि कुतुब मस्जिद में स्पष्ट साक्ष्य मौजूद हैं कि इसका निर्माण हिंदू मंदिर को तोड़ कर किया गया था लेकिन बहस कुतुब मीनार पर है. 

इस सर्वेक्षण के दौरान उन्होंने ने पाया कि 12वीं-13वीं शताब्दी में जब आधुनिक इंजिनीरिंग मौजूद ही नहीं थी तब मौजूदा मस्जिद से कुछ ही दूरी पर इतनी बड़ी मीनार खड़ा कर वो भी अगल बगल की इमारतों को नुकसान पहुंचाए बिना असंभव है और बर्बर मुगलों के बस की बात ही नही थी, क्योंकि यह टेक्नोलॉजी तो रिपोर्ट लिखने के समय तक मौजूद नहीं थी. ऐसे में यह पुख्ता प्रमाण है कि मीनार का निर्माण भी मंदिरों के साथ ही किया गया है.

इब्नबतूता ने बताया था हिंदू परिसर 

ASI के तत्कालीन अधिकारी जे डी बेगलर ने रिपोर्ट में लिखा कि अरबी यात्री इब्नबतूता तक ने पूरे कुतुब मीनार परिसर को हिंदू परिसर कहा था और अपनी किताब में यहां 27 मंदिर होने की बात लिखी थी. जे डी बेगलर ने अपनी रिपोर्ट में कुतुब मस्जिद को नष्ट हुआ हिंदू मंदिर बताया था और कहा था कि मस्जिद की दीवारें ही इसके हिंदू मंदिर होने की गवाही दे रही हैं. 

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हिंदू देवी-देवताओं की मिली थी मूर्तियां

साथ ही अपनी रिपोर्ट में जे डी बेगलर ने दावा किया था कि कुतुब मीनार और मस्जिद के आसपास खुदाई के दौरान उन्हें देवी लक्ष्मी की दो मूर्तियां मिलीं, जबकि जो इस्लामी निशान मिले वो सिर्फ जोड़-तोड़ की गवाही दे रहे थे. ASI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि कुतुब मीनार परिसर में जो भी शिल्पकृति दिखती हैं वो सारी हिंदू शिल्पकृतियां हैं, जबकि इस्लामी निशान जोड़-तोड़ के है.

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