कभी चलाया था रिक्शा और आज ले ली मांझी के बेटे की जगह, जानें कौन हैं बिहार के नए मंत्री रत्नेश सदा

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 16, 2023, 12:03 PM IST

Bihar New Minister Ratnesh Sada 

CM Nitish Kumar और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की मौजूदगी में बिहार के राज्यपाल ने रत्नेश सदा को कैबिनेट मंत्री के पद की शपथ दिलाई है.

डीएनए हिंदी: हाल ही में बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी के बेटे संतोष मोहन ने सीएम नीतीश कुमार की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. नीतीश ने अपने ऊपर आरोप लगाने वाले संतोष के इस्तीफे को मंजूर करते हुए सीधे तौर पर HAM को गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखा दिया. बिहार में खाली कुर्सी पर जेडीयू के ही एक विधायक रत्नेश सदा को मंत्री बना दिया गया है. उन्हें आज राज्यपाल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है. रत्नेश सदा आज मंत्री पद पर पहुंच गए हैं जो कि एक समय रिक्शा चलाते थे. 

बता दें कि शुक्रवार को ही बिहार में नीतीश कैबिनेट का विस्तार हुआ है. मंत्रिमंडल विस्तार में सोनवर्षा सुरक्षित सीट से जेडीयू विधायक रत्नेश सदा को कैबिनेट में जगह मिली है. एक सादे समारोह में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के बड़े नेता मौजूद रहे.

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जातिगत रणनीति के तहत लिया फैसला

रत्नेश सदा मांझी (मुसहर) जाति से आते हैं. वह लगातार तीन बार सोनवर्षा सुरक्षित सीट से चुनाव जीतते रहे हैं. सदा को पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के बेटे संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में जगह मिली है जिनका सीएम नीतीश कुमार से टकराव जारी था और उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया है.

कबीरपंथ को मानने वाले हैं रत्नेश सदा

49 साल के रत्नेश सदा ने स्नातक तक की पढ़ाई की है. चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के मुतबिक वह 1.30 करोड़ की चल अचल संपत्ति के मालिक हैं. संतान की बात करें तो उन्हें तीन बेटे और दो बेटियां है. कबीरपंथ को मानने वाले रत्नेश सदा को सुनने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है. इस पथ को मानने वालों में उनकी बड़ी पहचान है. दलित समाज के उत्थान के लिए काम की वजह से भी वह चर्चा में रहते हैं. नीतीश कैबिनेट में उन्हें दलित चेहरे के तौर पर जगह मिली है.

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मजदूर थे पिता और खुद भी चलाया था रिक्शा

बता दें कि रत्नेश सदा एक अच्छे वक्ता माने जाते हैं. उन्होंने राजनीति में यह मुकाम कड़ी मेहनत के बल पर पाया है, सदा के पिता एक मजदूर थे और इसके चलते रत्नेश सदा ने भी लंबे समय तक रिक्शा चलाया है. एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर सक्रिय रहने वाले रत्नेश सदा का राजनीतिक सफर 1987 से शुरू हुआ.

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जेडीयू के साथ अपनी राजनीति करने वाले सदा पार्टी में अलग-अलग इकाइयों से जुड़े रहे. वह अभी जेडीयू के महादलित प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हैं. इससे पहले वह सुपौल जिला संगठन प्रभारी. उपाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव रह चुके हैं.

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