डीएनए हिंदी: बिहार में जातिगत जनगणना (Bihar Caste Census) का मुद्दा सियासी लिहाज से काफी अहम हो गया है. वहीं, जातिगत जनगणना पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने रोक लगा दी थी. इस फैसले के खिलाफ बिहार की नीतीश कुमार सरकार (Nitish Kumar Government) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Caste Census) ने भी सरकार को झटका दिया है और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट तभी इस मामले में सुनवाई करेगा जब हाई कोर्ट अपना फैसला सुना देगा.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने नीतीश सरकार की मांग पर सुनवाई की और कहा, "पहले 3 जुलाई को हाईकोर्ट को मामले को सुनने दीजिए, अगर वहां से आपको राहत नहीं मिलती तो आप यहां आ सकते हैं."
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सुप्रीम कोर्ट में क्या बोली नीतीश सरकार
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जातिगत जनगणना के मुद्दे पर बिहार सरकार ने कहा, "हाईकोर्ट ने मामले में हमारा पूरा पक्ष नहीं सुना और तत्काल रोक लगा दी." नीतीश कुमार सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि सर्वे का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. सरकार ने कहा, "हमें सर्वे का काम पूरा करने दीजिए. हमें सिर्फ 10 दिन का समय दिया जाए, ताकि हमारा सर्वे पूरा हो जाए."
सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत
वहीं नीतीश सरकार की दलीलें सुनने के बाद जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "मामला हाईकोर्ट में लंबित है. उन्हें सुनवाई करने दीजिए. अगर वहां से आपको राहत नहीं मिलती तो आप यहां आ सकते हैं. इसलिए हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा."
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ठप है बिहार में जातिगत जनगणना का काम
बता दें कि बिहार सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले का लगातार विरोध होता रहा है. इस फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गईं थीं. इन याचिकाओं में जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने इस पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी थी.
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