'जाति नहीं कोड बताओ' बिहार में जनगणना का नया सिस्टम, ब्राह्मण का 128 और भूमिहारों का होगा 144 नंबर

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 05, 2023, 04:35 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो-PTI)

Bihar caste census: बिहार में जातिगत जनगणना के दूसरे चरण की पूरी तैयारी हो गई है. इसके लिए ही हर जाति को एक कोड नंबर दिया गया है.

डीएनए हिंदी: Bihar News- यदि आपसे जाति पूछी जाए तो आप खुद को ब्राह्मण, यादव, भूमिहार बताएंगे, लेकिन बदले में आपको जवाब मिले की जाति नहीं कोड बताइए तो शायद आप हैरान हो जाएंगे. कम से कम बिहार में यही व्यवस्था लागू होने जा रही है. बिहार में हर जाति के लिए सरकार ने एक खास कोड तय कर दिया है. यह कोड सिस्टम जातिगत जनगणना के लिए किया जा रहा है, जिसके दूसरे चरण को कराने की लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. हर जाति को मिला कोड ही भविष्य में सरकारी दस्तावेजों में उसकी पहचान होगा यानी आपको सरकारी के पास नौकरी से लेकर स्कूल में पढ़ाई तक या किसी अन्य काम के लिए आवेदन करते समय अपनी जाति के बजाय फॉर्म में कोड भरना होगा. 

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15 अप्रैल से होगा जाति गणना का दूसरा चरण

बिहार में 15 अप्रैल से जातिगत जनगणना का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा. इसमें प्रपत्र के अलावा पोर्टल और मोबाइल ऐप के जरिये भी डाटा फीड किया जाएगा. इसी के लिए हर जाति का अलग-अलग कोड तय किया गया है. इस कोड के आधार पर ही जाति की पहचान होगी यानी पता लगेगा कि कौन व्यक्ति किस जाति से आता है. जनगणना में सुविधा के लिए 17 कॉलम और 215 जातियों के नामों की सूची बनाई गई है.

अगरिया जाति को मिला है कोड नंबर 01

बिहार सरकार ने कुल 216 जातियों के लिए कोड सिस्टम शुरू किया है. इन 216 जातियों में से हर एक को यूनिक कोड दिया गया है. सबसे पहले नंबर पर अगरिया जाति है, जिसका कोड नंबर 01 है. बनिया के लिए कोड संख्या 124 दी गई है तो ब्राह्मओं के लिए 128 और भूमिहारों के लिए कोड नंबर 144 तय किया गया है. इसी तरह सभी जातियों को अलग-अलग कोड मिले हैं. 

एक व्यक्ति, एक जगह गणना

मोबाइल ऐप या पोर्टल पर भी गणना का डाटा भरने की व्यवस्था दोहराव से बचने के लिए की गई है. यदि कोई व्यक्ति एक जगह जातिगत गणना में शामिल हो चुका है तो दूसरी जगह उसकी गणना नहीं होगी. यदि गणना दो जगह हो गई है तो ऐप या पोर्टल पर तत्काल अलर्ट आ जाएगा. 

ये होगा जाति कोड का लाभ

हर जाति से लेकर अलग-अलग समुदाय के सामान्य, दलित, आदिवासी व पिछड़ा वर्ग के भी कोड तय किए गए हैं. इससे बिहार सरकार को हर समुदाय के हर वर्ग का सही डाटा उपलब्ध हो जाएगा. इसका उपयोग सरकारी योजनाओं को बनाने में होगा. साथ ही आम जनता को भी आवेदन पत्रों में जाति की जगह कोड भरने की सुविधा मिल जाएगी. 

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