Bihar: मुंगेर में गंगा नदी पर पुल का अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था शिलान्यास, अब PM मोदी करा रहे उद्घाटन

| Updated: Feb 11, 2022, 11:58 AM IST

एप्रोच पथ के निर्माण पर कुल 696 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इसमें निर्माण कार्य पर 227 करोड़ और भूमि अधिग्रहण पर 419 करोड़ रुपये का खर्चा आया.

डीएनए हिंदी: मुंगेर में गंगा पर रेल सह सड़क पुल की मांग को लेकर लंबे समय से यहां के लोग आंदोलन चला रहे थे. जनता की आकांक्षाओं और उसके दर्द को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने समझा और इसके बाद उन्होंने 26 दिसंबर 2002 को दिल्ली से रिमोट कंट्रोल के माध्यम से इसकी आधारशिला रखी. उस समय बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में रेल मंत्री हुआ करते थे. इस रेल सह सड़क पुल के शिलान्यास के मौके पर तत्कालीन रेल मंत्री सह वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुंगेर पहुंचे थे. उस समय इस महत्वाकांक्षी डबल डेकर पुल की कुल अनुमानित लागत 921 करोड़ आंकी गई थी लेकिन अब जब शिलान्यास के लगभग 19 साल 2 माह बाद इसके उद्घाटन का समय आया है तो इसकी कुल लागत तीन गुना बढ़कर 2777 करोड़ पहुंच गई है. इस सेतु के शिलान्यास से लेकर उद्घाटन के बीच लगभग दो दशक में जहां एक ओर मंहगाई बढ़ी वहीं दूसरी ओर इसके निर्माण में राजनीतिक हस्तक्षेप भी बड़ी बाधा बनी लेकिन आखिरकार अब जाकर मुंगेरवासियों का सपना साकार होने जा रहा है.

अप्रैल 2016 से शुरू हुआ था यात्री ट्रेन का परिचालन

इस रेल सह सड़क सेतु से यात्री ट्रेन का परिचालन अप्रैल 2016 से आरंभ हुआ था. बेगूसराय रेलवे स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से तत्कालीन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, बेगूसराय के तत्कालीन सांसद डा. भोला सिंह तथा मुंगेर की तत्कालीन सांसद वीणा देवी ने हरी झंडी दिखाकर पहली यात्री टेन को जमालपुर के लिए रवाना किया था. उस समय ही इस रेल सह सड़क पुल का नामाकरण श्रीकृष्ण सेतु के रूप में किया गया था. इससे पूर्व मार्च 2013 में पहली बार इस रेलखंड पर ट्रेन परिचालन का ट्रायल किया गया था. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने हरी झंडी दिखाकर एक साथ दीघा पुल तथा मुंगेर रेल सह सड़क सेतु पर मालगाड़ी के परिचालन को आरंभ किया था.

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2018 में आरंभ हुआ था एप्रोच पथ का निर्माण काम, टोपो लैंड बनी बड़ी बाधा

लगभग 14. 517 किमी लंबे रेल सह सड़क सेतु के एप्रोच पथ का निर्माण कार्य पंचकुला हरियाणा की निर्माण कंपनी एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन के द्वारा 1 दिसंबर 2018 से आरंभ किया गया लेकिन लालदरवाजा के पास स्थित टोपोलैंड की जमीन इसके निर्माण में मुख्य बाधा बनी. इस टोपोलैंड जमीन पर बसे लोग अपनी जमीन बिना मुआवजा के एनएचएआई को देने को तैयार नहीं थे. इस पर लंबे समय तक रार चलता रहा और फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने  एप्रोच पथ निर्माण में आने वाली टोपोलैंड की जमीन के रैयतीकरण करने तथा सभी भूस्वामियों को मुआवजा देने का निर्देश दिया. इसके बाद कहीं जाकर कार्य शुरू हुआ. 

खर्च हुए 696 करोड़ रुपये 

बता दें कि एप्रोच पथ के निर्माण पर कुल 696 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इसमें निर्माण कार्य पर 227 करोड़ और भूमि अधिग्रहण पर 419 करोड़ रुपये का खर्चा आया. जबकि रेल सह सड़क सेतु दोनों के निर्माण पर कुल 2777 करोड़ रुपये की लागत आई जो 2002 की प्राक्कलित राशि 921 करोड़ रुपये के तीन गुणा से भी अधिक है. यानी योजना के शिलान्यास से लेकर पूर्ण होते तक में कुल लागत तीन गुणा तक बढ़ गई.

14.517 किमी के एप्रोच पथ से जुड़ेगा 3.75 किमी लंबा रेल सह सड़क पुल

वहीं गंगा पर निर्मित रेल सह सड़क सेतु की कुल लंबाई 3.75 किलोमीटर है जबकि इससे जुड़ने वाले एप्रोच पथ (एनएच 333बी) की लंबाई 14.517 किलोमीटर है. मुंगेर की ओर एप्रोच पथ की लंबाई 9.394 किलोमीटर तथा खगड़िया की ओर एप्रोच पथ की लंबाई 5.198 किलोमीटर है. इस प्रकार अगर हम एप्रोच पथ एवं रेल सह सड़क पुल की कुल लंबाई जोड़ दें तो एनएच 333बी की कुल लंबाई 18.267 किलोमीटर होगी. एनएच 333बी के चालू हो जाने से मुंगेर एवं खगड़िया के बीच की कुल दूरी महज 25 किलोमीटर रह जाएगी और मुंगेर से बेगूसराय के बीच की दूरी घटकर महज 50 किलोमीटर रह जाएगी.  

(इनपुट- प्रशांत कुमार)