Bihar Caste Reservation: Nitish Kumar की सरकार को 'सुप्रीम' झटका, बढ़े हुए आरक्षण पर लगी रहेगी रोक

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jul 29, 2024, 01:17 PM IST

Bihar Caste Reservation: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने जातिगत आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 फीसदी कर दी थी, जिस पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जिस पर आज सुनवाई हुई है.

Bihar Caste Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को करारा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के उस फैसले को पलटने से इंकार कर दिया, जिसमें बिहार सरकार के जातिगत आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 फीसदी करने के फैसले पर रोक लगाई गई थी. राज्य सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिस पर सोमवार (29 जुलाई) को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में विस्तृत सुनवाई के लिए तैयार हो गया है, लेकिन उसके लिए भी राज्य सरकार को सितंबर की तारीख दी है. इसे राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जो इस फैसले को गेमचेंजर मानते हुए बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) से पहले  लागू करने की तैयारी कर रही थी.

नहीं मानी तत्काल सुनवाई की भी अपील

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच ने बिहार सरकार की अपील पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक नहीं लगाते हुए सितंबर में सुनवाई की बात कही. चीफ जस्टिस ने कहा,'हम इस मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं. सितंबर में सुनवाई करेंगे, लेकिन तब तक कोई अंतरिम राहत नहीं मिलेगी. इस पर बिहार सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से तत्काल फैसले की अपील की. उन्होंने कहा,'बढ़ाए गए आरक्षण के तहत बहुत सारी नौकरियां निकली थीं, जिनमें इंटरव्यू चल रहे हैं. हजारों कैंडीडेट्स हैं, जो इन इंटरव्यू में शामिल हैं. इसलिए इस मामले में तत्काल कोई फैसला लिया जाए.'

छत्तीसगढ़ का दिया गया उदाहरण

बिहार सरकार की तरफ से पेश एक अन्य वकील ने कहा,'छत्तीसगढ़ सरकार के भी जातिगत आरक्षण को 50 फीसदी से आगे बढ़ाने पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को रोक दिया था. इस पर चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस जेबी पादीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की मौजूदगी वाली बेंच ने कहा,'हम इस पर स्टे नहीं देंगे. हाई कोर्ट पहले ही राज्य की नौकरियों में 68 फीसदी लोगों को आरक्षण मिलने की बात कह चुका है.'

क्या है पूरा मामला

बिहार सरकार ने जातीय सर्वे को आधार बनाकर राज्य की सरकारी नौकरियों में जातिगत आरक्षण सीमा को बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था. इसे पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाई कोर्ट ने 20 जून को सुनवाई करते हुए आरक्षण बढ़ाने के आदेश पर रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट ने इसे रोजगार के अवसरों में समानता, भेदभाव के खिलाफ बचाव के अधिकार जकी बात करने वाले संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन बताया था. 

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी ये याचिका

पटना हाई कोर्ट के फैसले को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के लिए झटका बताया गया था. नीतीश कुमार की सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें यहा कहा गया था कि हमने जातीय सर्वे में यही जानकारी जुटाई थी कि कौन सा समाज राज्य में कितनी हिस्सेदारी पर है और उसके कितने नीतिगत सहयोग की जरूरत है. इसी आधार पर आरक्षण को चुनौती दी गई थी.

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