पंजाब में अकाली को नहीं, कैप्टन को साधने के प्रयास में है भाजपा

| Updated: Nov 22, 2021, 12:18 PM IST

तीन कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद से कैप्टन की पार्टी के साथ भाजपा के गठबंधन की संभावनाएं बढ़ गई हैं, क्योंकि कैप्टन का उत्साह अभूतपूर्व है.

डीएनए हिंदीः पंजाब में भाजपा नए अवसरों को तलाशने के प्रयास कर रही है. किसान आंदोलन एवं पंजाब की जनता के आक्रोश को देखते हुए ही मोदी सरकार ने गुरुपर्व के पवित्र दिन पर तीन कृषि कानूनों को रद्द भी कर दिया. इसका उद्देश्य भले ही राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताया गया हो, किन्तु भाजपा इस फैसले से ये स्पष्ट कर रही है, कि उसे पंजाब की राजनीति में विशेष दिलचस्पी है, जिसका संकेत मोदी सरकार के फैसले के बाद ही मिल गया, जब राज्य के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भाजपा के साथ काम करने की खुलकर इच्छा जाहिर कर दी. 

कैप्टन के साथ संभावित बातचीत 

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह कई बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर चुके थे. उन्होंने पार्टी बना कर भाजपा के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए थे. वहीं तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद उन्होंने भाजपा के साथ काम करने का स्वयं ही ऐलान कर डाला है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "केंद्र सरकार के इस फैसले से न केवल किसानों को बड़ी राहत मिली है, बल्कि पंजाब की प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ है. मैं किसानों के विकास के लिए भाजपा के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं. मैं पंजाब के लोगों से वादा करता हूं कि मैं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा, जब तक मैं हर एक आंख से आंसू नहीं पोछूंगा."

कैप्टन की भाजपा के साथ काम करने की बात स्पष्ट करती है, भाजपा ने पहले ही कैप्टन के साथ भविष्य की राजनीति को लेकर प्लानिंग कर ली थी, और संभवतः अब रूप-रेखा को अंजाम दिया जा रहा है. कांग्रेस से अपमानित होने के बाद निश्चित ही कैप्टन को भी भाजपा की जरूरत है, और भाजपा को कैप्टन की.  इन दोनों की जरूरत ही पंजाब की राजनीति में भाजपा के लिए एक नया अध्याय लिख सकती है.

भाजपा के लिए सहज कैप्टन 

तीन कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद ये कयास हैं कि एक बार फिर शिरोमणि अकाली दल भाजपा के साथ आने की कोशिश कर सकता है, लेकिन भाजपा का रवैया उस ओर सकारात्मक नहीं दिखता. इसकी वजह ये है कि अकाली दल के नेतृत्व पर भ्रष्टाचार के अनेकों आरोप लगते रहे हैं. नशे के कारोबार को लेकर अकालियों के दामाद बिक्रम सिंह मजीठिया पर लगे आरोप पार्टी की विश्वसनीयता पर धब्बा लगा चुके हैं. ऐसे में संभवतः भाजपा अकालियों के साथ होने वाले नुकसान से परिचित है.

वहीं अकालियों से इतर भाजपा के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं. उनकी लोकप्रियता का लाभ लेकर भाजपा पंजाब में अपना जनाधार जमीनी स्तर तक पहुंचा सकती है. इतना ही नहीं, कैप्टन के सामने सिद्धू की लोकप्रियता का भी कोई मुकाबला नहीं किया जा सकता है, ऐसे में पंजाब विधानसभा चुनाव में सिद्धू के नेतृत्व में कांग्रेस की फजीहत भी हो सकती है. वहीं, कैप्टन की उम्र इस बात का संकेत हैं कि वो अधिक समय तक  सक्रिय राजनीति में नहीं रहेंगे, ऐसे में कैप्टन के हटने के बाद निश्चित तौर पर भाजपा का गठबंधन पर वर्चस्व हो सकता है, जो कि पार्टी के लिए 2024 एवं 2027 में सहज राजनीतिक माहौल बना सकता है.