Karnataka के 35,000 मंदिरों से सरकारी कंट्रोल खत्म, भाजपा सरकार का बड़ा फैसला

Written By कृष्णा बाजपेई | Updated: Jan 02, 2022, 06:28 PM IST

कर्नाटक सरकार ने सभी 35,000 मंदिरों को सरकारी कंट्रोल से मुक्त कर दिया गया है. वहीं कांग्रेस इस फैसले का विरोध कर रही है.

डीएनए हिंदी: मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण को लेकर आए दिन देश आंदोलन होते हैं किन्तु कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई की सरकार ने मंदिरों कका कंट्रोल सरकारी नियंत्रण से बाहर कर दिया है. कर्नाटक सरकार एक फैसले से 35,000 मंदिर सरकारी नियंत्रण से बाहर हो गए हैं. वहीं इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस विरोध में उतर आई है. कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा है कि वो ऐसा कोई भी कानून नहीं बनने देंगे. 

अचानक लिया बड़ा फैसला

दरअसल, कर्नाटक में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मुजराई विभाग के तहत आने वाले 35,500 से ज्यादा मंदिरों को सरकारी नियमों से मुक्त करने की घोषणा कर राज्य में हलचल मचा दी है. ये एक ऐसा निर्णय है जिससे कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दूरी बना कर रखी थी. वहीं भाजपा अब इस कदम का स्वागत कर रही है. 

भाजपा समर्थकों ने किया स्वागत 

इस मसले को लेकर भाजपा की युवा ब्रिगेड के संस्थापक चक्रवर्ती सुलीबेले ने बताया, “ बीजेपी ने मंदिरों का प्रबंधन हिंदू समुदाय को सौंपने का अच्छा और समझदारी भरा फैसला लिया है. 'नियंत्रण लेने' की अवधारणा मुगलों और अंग्रेजों के समय में पैदा हुई थी. अंग्रेजों ने हिंदू मंदिरों पर नियंत्रण करने के लिए 'एंडोमेंट एक्ट' जैसे कानून भी लाए.”

इसके साथ ही युवा ब्रिगेड के नेता ने मंदिर की परंपराओं और वीवीआइपी कल्चर को लेकर कहा, ‘जब कोई वीआईपी या मंत्री का मंदिर का दौरा होता है तो प्रशासक सभी परंपराओं को तोड़ देता है. मंदिरों में जहां निजी प्रबंधन होता है, ऐसी चीजों को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है.”

कांग्रेस ने किया विरोध 

वहीं इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) के नेता डीके शिवकुमार ने कहा है कि वो बीजेपी (BJP) को ऐसा कोई कानून नहीं बनाने देगे. इस मामले में 4 जनवरी को वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा, “मुजराई विभाग के अंतर्गत आने वाले मंदिरों को स्थानीय लोगों को प्रशासन के लिए कैसे दिया जा सकता है? ये सरकार की संपत्ति है.” 

कर्नाटक सरकार ने इस फैसले के जरिए जहां अपना हिंदुत्व कार्ड मजबूत करने की कोशिश की है तो वहीं अब ये कांग्रेस के लिए मुसीबत गया है. इसकी वजह ये है कि पार्टी हिंदुओं को लुभाने की कोशिशों के बीच इस फ़ैसले का विरोध करने के मुद्दे पर असमंजस में पड़ सकती है.