Gyanvapi Masjid: 'हमने 3 मंदिर मांगे थे, तुम नहीं माने, अब सारे वापस लेंगे'- BJP MLA का ट्वीट

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 20, 2022, 04:03 PM IST

File Photo (Image Credit- Twitter/BJP4Abhijeet)

Gyanvapi विवाद के बीच भाजपा के विधायक अभिजीत सांगा ने ऐसा ट्वीट कर दिया है जिसपर विवाद छिड़ सकता है.

डीएनए हिंदी: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) को लेकर देश में सियासत तेज है. इस बीच कानपुर के बिठूर से भाजपा के विधायक अभिजीत सांग ने एक ऐसा ट्वीट कर दिया है जिसकी वजह से विवाद बढ़ सकता है. दरअसल अभिजीत सांगा ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, "5 गांव नही दिए तो पूरा राज्य खोना पड़ा था दुर्योधन को! हमने भी 3 मंदिर मांगे थे!! तुम नही माने... अब तैयार रहो सारे मंदिर वापस लेंगे.."

अभिजीत सांगा से जब उनके ट्वीट को लेकर जी मीडिया के संवाददाता श्याम तिवारी ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हम अपने हक की बात कर रहे हैं. हमारे मंदिरों को आतताइयों ने क्षतिग्रस्त कर मस्जिदें बनाई थी. अयोध्या,मथुरा और काशी में भी मंदिर तोड़ कर मस्जिदें बनाई गई.उन्होंने कहा कि मुस्लिम संगठनों के लोग मंदिरों के निर्माण में सहयोग करें.ऐसा कर वह विश्व में मिसाल कायम करें.

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई टली
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई छह जुलाई तक के लिए टाल दी. वाराणसी के अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने सुनवाई की अगली तारीख छह जुलाई तय की.

पढ़ें- Gyanvapi Masjid: जुमे की नमाज के लिए जुटी भारी भीड़, गेट बंद कर लौटाने पड़े लोग

उल्लेखनीय है कि मूल वाद वर्ष 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में दायर किया गया था, जिसमें वाराणसी में जहां ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है, वहां प्राचीन मंदिर बहाल करने की मांग की गई थी. वाराणसी की अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को पांच सदस्यीय समिति गठित कर सदियों पुरानी ज्ञानवापी मस्जिद का समग्र भौतिक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था.

पढ़ें- Gyanvapi Masjid: 'फव्वारा नहीं शिवलिंग के ऊपर जड़ा था हीरा', हिंदू पक्ष ने किया दावा 

याचिकाकर्ताओं ने आठ अप्रैल के इस आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में यह कहते हुए चुनौती दी कि वाराणसी की अदालत का यह आदेश अवैध और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है. याचिका में कहा गया कि वाराणसी की अदालत में यह विवाद सुनवाई योग्य है या नहीं, यह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विचाराधीन है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.