डीएनए हिंदी: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तर भारत के लगभग हर राज्य में एक न एक बार सरकार बना ली है. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई में बीजेपी (BJP) के 'अच्छे दिन' आने के बावजूद दक्षिण भारत के राज्यों में बीजेपी को बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई है. कर्नाटक राज्य को छोड़ दें तो दक्षिण भारत के किसी भी दूसरे राज्य में बीजेपी सरकार नहीं बना पाई है. तमिलनाडु (Tamilnadu) और केरल जैसे राज्यों में लगातार प्रयासों के बावजूद बीजेपी का संगठन भी मजबूत नहीं हो पाया है. यही वजह है कि बीते कुछ सालों से बीजेपी लगातार दक्षिण भारत से आने वाले बड़े चेहरों को अलग-अलग संस्थानों में मौके देकर लगातार यह जताने की कोशिश कर रही है कि वह दक्षिण भारत को लेकर कितनी गंभीर है.
राष्ट्रपति की ओर से नामित किए चार राज्यसभा सांसदों में जानी-मानी ऐथलीट पीटी उषा, संगीतकार इलैया राजा, समाजसेवी वीरेंद्र हेगड़े और मशहूर स्क्रीनराइटर-डायरेक्टर वी. विजयेंद्र प्रसाद के नाम शामिल हैं. भले ही ये नाम राष्ट्रपति नामित करते हों लेकिन यह स्पष्ट है कि सत्ताधारी दल ही ये नाम तय करता है. इस बार के चारों नामों से यह साफ हो गया है कि बीजेपी दक्षिण भारत को लेकर खास प्रयास कर रही है और वहां अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है.
BJP के लिए क्यों अहम है दक्षिण भारत?
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को 303 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इसमें से सिर्फ़ 29 सीटें दक्षिण भारत से थीं. अहम बात यह है कि बीजेपी को तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी. तमिलनाडु में बीजेपी ने एआईएडीएमके गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा था. केरल में भी बीजेपी ने खूब दम झोंका था लेकिन लेफ्ट और कांग्रेस के आगे उसकी एक न चली और उसका खाता नहीं खुला.
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तमिलनाडु, पुडुचेरी, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल को मिलाकर लोकसभा की कुल 130 सीटें हैं. लोकसभा की कुल सीटों की संख्या के हिसाब से देखें तो यह आंकड़ा लगभग एक चौथाई के बराबर है. इन 130 में से बीजेपी को सिर्फ़ 29 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. उसमें से भी 25 सीटें तो कर्नाटक से ही थीं और बाकी की चार सीटें तेलंगाना से मिली थीं. यही वजह है कि बीजेपी को तेलंगाना में कुछ उम्मीद दिख रही है और वह बाकी के राज्यों की तुलना में तेलंगाना पर ज्यादा ध्यान दे रही है.
राज्यसभा सांसदों के बहाने दक्षिण पर निशाना
ऐथलीट पीटी ऊषा केरल राज्य से आती हैं. इलैयाराजा तमिलनाडु से आते हैं और वह दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. इसके अलावा वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक के प्रसिद्ध धर्मस्थल मंदिर के प्रमुख हैं. वहीं, विजयेंद्र प्रसाद आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. मतलब इन चार नामों के साथ ही बीजेपी ने चार राज्यों को साधने की कोशिश की है. इसी तरह नरेंद्र मोदी की कैबिनेट कई मंत्री भी दक्षिण भारत से हैं और देश के उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी दक्षिण भारत के निवासी हैं.
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इसके अलावा, अगर राज्यपालों की नियुक्ति देखें तो इसमें भी दक्षिण भारत को खूब वरीयता दी गई है. वर्तमान में गोवा, हरियाणा, मणिपुर, मिज़ोरम, तमिलनाडु और तेलंगाना के राज्यपाल दक्षिण भारत से ताल्लुक रखते हैं. केंद्र की मोदी सरकार के बड़े मंत्रियों में निर्मला सीतारमण, जी. किशन रेड्डी और वी मुरलीधरन ऐसे हैं जो दक्षिण भारत से आते हैं. इनके अलावा कई राज्य मंत्री और स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री भी दक्षिण भारतीय हैं. कुल मिलाकर बीजेपी और मोदी सरकार ने दक्षिण भारत को प्रतिनिधित्व देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है.
हैदराबाद में बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक
हाल ही में बीजेपी ने तेलंगाना के हैदराबाद में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता शामिल हुए. बैठक से पहले बीजेपी ने तेलंगाना में कई रोड शो किए, डोर-टू-डोर संपर्क अभियान चलाया और बूथ पर बीजेपी को मजबूत करने के लिए जमकर पसीना बहाया. बीजेपी तेलंगाना में कोशिश कर रही है कि केसीआर के मुकाबले वह कम से कम विपक्ष को रिप्लेस कर सके और पश्चिम बंगाल की तरह ही वह यहां भी मुख्य विपक्षी दल बन जाए. यही कारण है कि वह केसीआर को जमकर आड़े हाथ ले रही है.
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बीजेपी को तेलंगाना इसलिए आसान लग रहा है क्योंकि राज्य की स्थापना से लेकर केसीआर ही मुख्यमंत्री हैं और उनका एकछत्र राज्य जारी है. केसीआर ने अपने बेटे केटी रामा राव को अपना उत्तराधिकारी बना रखा है इसलिए बीजेपी भी 'वंशवाद' का आरोप लगा रही है और वंशवाद के खिलाफ लड़ाई शुरू करने की बात कह रही है. केसीआर के अलावा हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी बीजेपी के 'प्रिय विरोधी' रहे हैं. बीजेपी और ओवैसी को एक-दूसरे का विरोध सूट करता है. ऐसे में बीजेपी को ध्रुवीकरण की राजनीति वाली जमीन तैयार करने के लिए असदुद्दीन ओवैसी एक आसान टारगेट बन जाते हैं.
हालांकि, आने वाले समय में दक्षिण भारत में बीजेपी की राह आसान नहीं होने वाली है. तमिलनाडु में एआईएडीएमक में गुटबाजी चल रही है और बीजेपी को कोई खास जमीन नहीं मिल रही है. तेलंगाना में केसीआर काबिज हैं और आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के पास प्रचंड बहुमत है. चंद्रबाबू नायडू से अलगाव के बाद बीजेपी के पास आंध्र प्रदेश में भी कुछ खास नहीं है. केरल में बीजेपी ने काफी हाथ-पैर चलाकर देखा लेकिन उसे कोई खास कामयाबी नहीं मिली. दूसरी तरफ, वायनाड से राहुल गांधी के सांसद होने की वजह से कांग्रेस भी लगातार लेफ्ट पर हमलावर है और वह बीजेपी को यहां थोड़ा भी स्पेस देने के मूड में नहीं है.
राज्य |
कुल सीटें |
बीजेपी की सीटें |
तमिलनाडु |
39 |
0 |
तेलंगाना |
17 |
4 |
आंध्र प्रदेश |
25 |
0 |
कर्नाटक |
28 |
25 |
केरल |
20 |
0 |
पुडुचेरी |
1 |
0 |
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