Gangrape केस में बड़ा फैसला, हाई कोर्ट बोला- मदद भी रेप करने के बराबर

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jul 31, 2024, 12:30 PM IST

Bombay High Court की नागपुर बेंच ने गैंगरेप के एक मामले में यह बात कही है. हाई कोर्ट ने इस मामले में दोषी ठहराए गए चार लोगों की सजा को बरकरार रखा है.

Bombay High Court ने एक गैंगरेप केस में बड़ा फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि गैंगरेप केस में महज वो दोषी नहीं है, जो रेप करता है. यदि किसी ग्रुप में कोई एक शख्स रेप करता है और बाकी लोगों की भी यही मंशा होने की बात स्षप्ट होती है तो सभी उस लोग उस रेप के दोषी माने जाएंगे और उन्हें सजा दिलाने के लिए यह काफी है. हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के जस्टिस गोविंदा सनप ने इस टिप्पणी के साथ गैंगरेप के मामले में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए चार लोगों की याचिका को खारिज करते हुए उनकी सजा बरकरार रखी है. इस फैसले को गैंगरेप के मामले में मिसाल कायम करने वाला आदेश माना जा रहा है, जो आगे भी ऐसे मुकदमों में दोषियों की सजा तय करने में काम आएगा.

क्या है पूरा मामला

एक लड़की और उसकी दोस्त 14 जून, 2015 को चंद्रपुर में मंदिर में दर्शन करने गई थीं. दर्शन करने के बाद जब वे एक पेड़ के नीचे बैठी थीं तो वहां संदीप तलंडे, कुणाल घोडाम, शुभम घोडाम और अशोक कन्नके नाम के चार लड़के पहुंचे. चारों ने खुद को वन विभाग का आधिकारी बताते हुए 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी. पैसा देने से इंकार करने पर दोनों लड़कियों के मोबाइल फोन छीनकर उनकी पिटाई की गई. इसके बाद संदीप और शुभम ने एक लड़की के साथ बलात्कार किया, जबकि कुणाल और अशोक ने अपनी सहेली को बचाने की कोशिश कर रही दूसरी लड़की को पकड़े रखा. चारों आरोपी फारेस्ट गार्ड के पहुंचने पर फरार हो गए थे. पीड़िता और उसकी दोस्त के पुलिस से शिकायत करने पर मेडिकल टेस्ट में रेप करने की पुष्टि हुई थी.

निचली अदालत ने दी थी 20-20 साल की सजा

पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश किया था. चंद्रपुर सत्र न्यायालय ने 20 अगस्त, 2018 को चारों आरोपियों को दोषी मानते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी.आरोपी इस सजा के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे थे. कुणाल और अशोक ने अपने खिलाफ गैंगरेप के आरोप को गलत ठहराया था. इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सजा को सही माना है.

'रेप नहीं किया, लेकिन इस काम में साथ दिया'

हाई कोर्ट के जस्टिस गोविंदा सनप ने चारों आरोपियों की सजा बरकरार रखते हुए कहा,' भले ही रेप करने में दो आरोपी शामिल थे, लेकिन बाकी दो आरोपियों को इरादे भी उनके साथ साझा थे. इसीलिए वे समान दोषी हैं. यदि दोनों आरोपी पीड़िता की दोस्त को नहीं पकड़ते तो वह बाकी दोनों आरोपियों को यह घिनौना काम करने से रोकने की कोशिश करती. दो आरोपियों के पीड़िता को पेड़ के पीछे घसीटने और बाकी दो द्वारा पीड़िता की दोस्त को पकड़ लेना स्पष्ट रूप से उनके इरादे दर्शाता है, जिससे वे समान दोषी बनते हैं. दोनों अन्य दो आरोपियों के अपराध में मदद की है.

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