डीएनए हिंदी: राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और नागरिक संशोधन कानून (CAA) मोदी सरकार के प्रमुख एजेंडों में शुमार रहा है. लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नजदीक हैं, ऐसे में केंद्र सराकर ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. बीजेपी ने अपने ज्यादातर एजेंडों को पूरा कर लिया है, इसलिए अब पूरा जोर CAA पर है. नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले अधिसूचित किया जाएगा. केंद्र सरकार के इस विधेयक को दिसंबर 2019 में सी संसद ने मंजूरी दे दी थी. CAA को लेकर इस्लामिक संगठनों ने देशव्यापी विरोध किया था. नागरिकता कानूनों पर केंद्र सरकार बुरी तरह घिर गई थी.
CAA के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय राष्ट्रीयता दी जाएगी. इस्लामिक संगठनों को ऐतराज था कि मुस्लिमों को इस कानून से क्यों बाहर रखा गया था. सरकार का तर्क है कि मुस्लिम देशों से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को जगह दी जाएगी, बहुसंख्यक मुस्लिमों को नहीं.
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पात्र लोगों को मिलेगी नागरिकता
संसद ने दिसंबर 2019 में संबंधित विधेयक को मंजूरी दी थी और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसके विरोध में देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. गृहमंत्रालय के अधिकारी ने कहा है कि हम जल्द ही सीएए के नियम जारी करने जा रहे हैं. नियम जारी होने के बाद, कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है.
ऑनलाइन होगी आवेदन की प्रक्रिया
कानून में चार साल से अधिक की देरी हो चुकी है और कानून लागू होने के लिए नियम जरूरी हैं. लोकसभा चुनाव के अप्रैल-मई में होने की संभावना है. लोकसभा से पहले ही इस कानून को अधिसूचित कर दिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक नियम तैयार हैं और ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है तथा पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. आवेदकों को उस वर्ष की घोषणा करनी होगी, जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था. आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा.
'CAA लाकर रहेंगे अमित शाह'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 27 दिसंबर को कहा था कि सीएए के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि यह देश का कानून है. उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया था.
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BJP का चुनावी एजेंडा है CAA
अमित शाह ने कोलकाता में पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि सीएए लागू करना BJP की प्रतिबद्धता है. ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस सीएए का विरोध कर रही है. पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सीएए लागू करने का वादा BJP का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था.
क्यों जल्दबाजी में है सरकार?
संसदीय प्रक्रियाओं की नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधायी समितियों से विस्तार का अनुरोध किया जाना चाहिए. गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए 2020 से संसदीय समितियों से नियमित अंतराल पर विस्तार ले रहा है. सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान या पुलिस कार्रवाई में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. (इनपुट: भाषा)
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