Covid-19 की मार झेल रहे अफ्रीकी बच्चों के लिए आगे आए कैलाश सत्यार्थी, मनमोहन सिंह, दलाई लामा जैसे नाम

Written By स्मिता मुग्धा | Updated: Feb 16, 2022, 04:19 PM IST

अफ्रीकी बच्चों के लिए नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी और दलाई लामा के साथ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भी न्याय की मांग की है.

डीएनए हिंदी: भारत की धरती से अफ्रीकी बच्‍चों के लिए आवाज उठ रही है. नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्‍यार्थी की पहल पर धार्मिक गुरु  दलाई लामा, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, दिग्गज उद्योगपति  नारायण मूर्ति सहित दुनियाभर के 86 नोबेल पुरस्‍कार विजेताओं और वैश्विक नेताओं ने एकजुट होकर “लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन” के बैनर तले अफ्रीकी बच्‍चों के लिए 'प्रत्‍यक्ष सामाजिक सुरक्षा'  देने की मांग की है. 

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सुश्री लिमाह जबोई की अध्यक्षता में यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर हुई अफ्रीकी नेताओं के साथ  बैठक के बाद एक बयान जारी कर यह मांग की गई है. बता दें कि अफ्रीकी बच्चे कोविड-19 महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं और 4 सालों में दुनिया में बाल श्रमिकों की संख्या में 16 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है. इनमें आधे से अधिक (यानी 8 करोड़ 86 लाख) बाल श्रमिक उप-सहारा अफ्रीका में कार्यरत हैं. यह अफ्रीका के खिलाफ नस्लीय और व्‍यवस्‍थागत भेदभाव का परिणाम है.

इस अवसर पर लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन के संस्‍थापक नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने वैश्विक नेताओं से अपील करते हुए कहा, ‘अफ्रीका के बच्चों को हमारी जरूरत है. अफ्रीका में दुनिया के आधे से अधिक बाल श्रमिक हैं. हम दुनिया के प्रत्येक नेता से अपने बच्चों के अधिकारों, सपनों और भविष्य को पूरा करने के लिए उनके साथ खड़े होने और कार्य करने का आह्वान करते हैं.’ कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा, 'हर बच्चे को स्‍कूल पहुंचाने के लिए पर्याप्त धन है. इसके बावजूद बच्‍चों को जिंदा रहने के लिए काम करना पड़ता है. इस स्थिति में यह सवाल पैदा होता है कि हम उस धन को कैसे और किनके लिए खर्च करना चाहते हैं? मैं दुनिया की सरकारों से आग्रह करता हूं कि वे इस पर ध्यान दें और इस दिशा में उचित कार्रवाई करें. इसके लिए हमें अफ्रीका से शुरुआत करनी चाहिए.’  

बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए सुश्री लिमाह जबोई ने कहा, ‘अफ्रीका को बदला जा सकता है। यह हम पर निर्भर करता है कि अफ्रीका को एक समावेशी और जन-केंद्रित वास्तविकता में फिर से आकार देकर अपने पूर्वजों को गौरवान्वित करें. बच्चे इस महाद्वीप की जान और भविष्य हैं। हम उनका शोषण करके, उनके योगदान को प्राप्‍त नहीं करने की भूल नहीं कर सकते.’ 

अफ्रीका के सभी बच्‍चों के लिए प्रत्‍यक्ष सामाजिक सुरक्षा के बयान पर नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित श्री कैलाश सत्‍यार्थी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, प्रसिद्ध उद्योगपति श्री नारायण मूर्ति, मशहूर आध्‍यात्मिक नेता दलाई लामा, माता अमृतानंदमयी, नोबेल शांति विजेता सुश्री लिमाह जबोई और श्री डेनिस मुकवेगे सहित 86 नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं ने हस्‍ताक्षर किए हैं. अंतरराष्‍ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और यूनिसेफ ने जून 2021 में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (2016-2019) के पहले चार वर्षों के दौरान दो दशकों में दुनियाभर में बाल श्रमिकों की संख्या में चौंकाने वाली वृद्धि की घोषणा की थी. उल्‍लेखनीय है कि महामारी की शुरुआत में ही जब दुनिया की आमदनी में 10 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, वहीं बाल मजदूरों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ (160 मिलियन) हो गई है. इनमें आधे से अधिक (यानी 8 करोड़ 86 लाख) बाल श्रमिक उप-सहारा अफ्रीका में कार्यरत हैं। यह अफ्रीका के खिलाफ नस्लीय और व्‍यवस्‍थागत भेदभाव का परिणाम है.