Delhi High Court News: मरने के बाद भले ही जिंदगी खत्म मान ली जाती है, लेकिन एक शख्स की मौत के चार साल बाद उसका बच्चा पैदा हो पाएगा. सुनने में अजीब लगने वाली यह जानकारी पूरी तरह सच है. असंभव लगने वाली यह बात दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) के एक अनूठे फैसले के कारण संभव होने जा रही है. दरअसल एक कैंसर पेशेंट की मौत के चार साल बाद उसके फ्रीज किए सीमन से सरोगेसी के जरिये उसका बच्चा पैदा कराया जाएगा. इस काम के लिए पेशेंट के माता-पिता को उसका सीमन सैंपल देने का आदेश हाई कोर्ट ने सर गंगाराम अस्पताल को दिया है. अस्पताल प्रबंधन ने माता-पिता को सीमन देने से इंकार कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने अस्पताल को सीमन मृत कैंसर पेशेंट के माता-पिता को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि सीरम सैंपल फ्रीज कराने वाले शख्स ने यह काम इस इच्छा के साथ किया था कि वह आगे इसकी मदद से पिता बन सके. उसकी इस इच्छा को उसकी सहमति मानना चाहिए. भारतीय कानून में स्पष्ट है कि सीमन या एग डोनर की सहमति है तो उसके मरने के बाद प्रजनन में इसका इस्तेमाल हो सकता है.
बेटे की विरासत आगे बढ़ाने के लिए लगाई थी गुहार
30 साल के कैंसर पेशेंट की मौत के चार साल बाद उसके माता-पिता ने उसका सीमन सैंपल दिलाने की गुहार हाई कोर्ट से लगाई थी. याचिका में कहा गया था कि सर गंगाराम अस्पताल में कीमोथेरेपी के समय डॉक्टरों की सलाह पर बेटे का सीमन फ्रीज कराया गया था. यह काम इसलिए किया गया था कि कीमोथेरेपी के कारण प्रजनन क्षमता प्रभावित होने पर इस सीमन सैंपल के जरिये उनका बेटा आगे पिता बन सकता है. माता-पिता ने कोर्ट को बताया कि 27 जून, 2020 को सीमन सैंपल फ्रीज किया गया और 1 सितंबर, 2020 को उनके बेटे की मौत हो गई थी.
अस्पताल ने दिया था ये तर्क
माता-पिता ने अपने बेटे का वंश आगे बढ़ाने के लिए दिसंबर, 2020 में अस्पताल से सीमन सैंपल सौंपने की गुहार लगाई थी, लेकिन अस्पताल ने इससे इंकार कर दिया था. अस्पताल ने कहा था की सीमन या एग फ्रीज कराने वाले शख्स को ही यह सैंपल दिया जा सकता है. मौजूदा नियमों के तहत कोर्ट की इजाजत के बिना वे ये सीमन घरवालों को नहीं दे सकते. इसके बाद माता-पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट में माता-पिता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सुरुचि अग्रवाल, एडवोकेट गुरमीत सिंह ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल सरोगेसी के जरिये पैदा होने वाले बच्चे की परवरिश अपनी बेटियों के साथ मिलकर उठाने को तैयार हूं.
'क्या मौजूदा कानून में मरने के बाद प्रजनन पर रोक है?'
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमारे सामने ये सवाल ता कि क्या मौजूदा कानून में मरने के बाद प्रजनन पर रोक है? मृत शख्स विवाहित नहीं था. जीवनसाथी होता तो मामला अलग होता. मृत शख्स ने जीवनसाथी नहीं होने के बावजूद सीमन सैंपल सुरक्षित रखवाया था तो उसका इरादा भविष्य में बच्चे पैदा करना था. उसे निश्चित ही कीमोथेरेपी के बाद जिंदा रहने की उम्मीद रही होगी. इस कारण बच्चा पैदा करना उसकी आखिरी इच्छा माननी चाहिए. सीमन सैंपल जेनेटिक मटीरियल है, जिस पर उस शख्स का उत्तराधिकारी होने के नाते उसके माता-पिता का पूरा हक बनता है.
'बेटे की विरासत आगे बढ़ाने की उम्मीद खत्म नहीं कर सकते'
हाई कोर्ट ने कहा,'दादा-दादी सरोगेसी से यदि संतान पैदा होती है तो उसके पालन-पोषण में समर्थ हैं. इसलिए बेटे की विरासत आगे बढ़ाने की उनकी उम्मीद को खत्म नहीं किया जा सकता. बस इस सीमन सैंपल का उपयोग किसी तरह के कमर्शियल इस्तेमाल में नहीं होना चाहिए.' इसके साथ ही हाई कोर्ट ने अस्पताल को फ्रीज सीमन सैंपल मृत शख्स के माता-पिता को सौंपने का आदेश दिया है.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.