Good News for Cancer Patient: Car-T Cell Therapy से कम हो सकते हैं कैंसर मरीज, अब भारत में भी मिलेगा इसका लाभ

सुमन अग्रवाल | Updated:Jul 12, 2022, 03:27 PM IST

Chemotherapy के अलावा Car T cell therapy से भी ठीक हो सकते हैं कैंसर के मरीज, जानिए कैसे अमेरिका के बाद भारत में भी इसपर हो रहा है काम, ये थैरेपी क्या है और इसकी कीमत क्या हो सकती है

डीएनए हिंदी : भारत में कैंसर मरीजों (Cancer patients) की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी (Radiotherapy and Chemotherapy) ही इसका एक मात्र इलाज है लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अब कैंसर के इलाज के लिए कार टी सेल (Car T Cell Therapy) थैरेपी भी बहुत कारगर साबित हो सकती है. अमेरिका जैसे प्रगतिशील देशों में इस थेरेपी का इस्तेमाल होना शुरू हो गया है लेकिन यह बहुत ज्यादा ही महंगी पड़ती है.

भारत में भी इस थैरेपी का प्रयोग शुरू करने पर चर्चा हो रही है. इसके लिए कई फार्मा कंपनी और स्टार्ट अप ने हाथ मिलाया है और इसपर काम शुरू भी कर दिया है. डॉक्टर्स का मानना है कि इस थैरेपी के शुरू होने के बाद कैंसर मरीजों की संख्या में कमी आएगी. हालांकि अब तक भारत में इसपर सहमति नहीं बनी है. अमेरिका में इस थैरेपी का खर्च 6-7 करोड़ रुपए तक आता है. 

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कैसे काम करती है ये थैरेपी 

ये थैरेपी कई बड़ी बीमारियों के इलाज में मददगार है लेकिन खासकर ल्यूकेमिया के मरीजों पर ये ज्याजा असरदार साबित होती है. ये शरीर के अंदर ही तैयार कोशिकाओं के ट्रांसप्लांट की मदद से होती है. 

कार-टी सेल थैरेपी क्या है  (What is Car-T Cell Therapy in Hindi)

(CAR-T Cell Therapy) एक इम्यूनोथेरिपी है, इसमें खास टी सेल्स का प्रयोग किया जाता है. यह टी सेल्स इम्यून सिस्टम का एक भाग है जो कैंसर से लड़ता है. इसके लिए रोगी के खून से टी सेल्स का नमूना लिया जाता है और उसके बाद खास स्ट्रक्चर को बनाने के लिए इसे मॉडिफाइड किया जाता है.

जिन्हें कैमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (Chimeric Antigen Receptors) कहा जाता है. जब कार-टी सेल (CAR-T Cell) को रोगी में फिर से इंसर्ट किया जाता है तो नए रिसेप्टर्स उन्हें रोगी की ट्यूमर कोशिकाओं के एक खास एंटीजन पर अटैक करने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम बनाते हैं. 

वैज्ञानिकों ने हाल ही में इसपर शोध करके पाया कि ये कोशिकाएं फेफड़े, त्वचा, रक्त, कोलोन, स्तन, हड्डियां, प्रोस्टेट, ओवेरियन, किडनी और सर्वाइकल में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करती हैं जबकि शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को यह किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचातीं है.

कैंसर के इलाज में टी-सेल थैरेपी बिल्कुल नई मिसाल है और इस थैरेपी में प्रतिरोधी कोशिकाओं को निकालकर, उनमें थोड़ा बदलाव करके मरीज के खून में वापस डाल दिया जाता है ताकि ये प्रतिरोधी कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं का खात्मा कर सकें

नए तरह का टी-सेल रिसेप्टर

शोधकर्ताओं ने जिस टी-सेल की खोज की है उसमें एक अलग तरह का सेल रिसेप्टर होता है जो इंसानों में पाए जाने वाले ज्यादातर कैंसर की पहचान कर कैंसर वाली कोशिकाओं का खात्मा करता है और स्वस्थ कोशिकाओं को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता. हालांकि इस थेरेपी के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं 

कार -टी सेल थैरेपी के नुकसान (Side Effects of Car T Cell therapy) 

इस थैरेपी के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं. इसे साइटोकिन रिलीज सिंड्रोम (Cytokine Release Syndrome) कहते हैं. इस सिंड्रोम के कारण मरीज को कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं. 

जी मचलना (Nausea)
थकावट (Fatigue)
सिरदर्द (Headache)
ठंड लगना (Chills)
बुखार (Fever)

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