Karti Chidambaram के खिलाफ CBI बड़ा एक्शन, चीनी नागरिकों को घूस लेकर दिलवाते थे वीज़ा

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 17, 2022, 07:56 PM IST

कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम के बेटे और लोकसभा सांसद कार्ति चिदंबरम के खिलाफ अवैध वीजा दिलवाने का आरोप है.

डीएनए हिंदी: सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम (P.Chidambaram) के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम (Karti Chidambaram)और 4 अन्य लोगों के खिलाफ चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों को अवैध वीजा दिलवाने के मामले में केस दर्ज किया है. वहीं आज कार्ति और उनके पिता के ठिकानों पर छापेमारी भी की गई है. ऐसे में अब कार्ति के जरिए जांच एजेंसियों के हाथ एक बार फिर पी.चिदंबरम तक पहुंच सकते हैं.

घूस लेकर देते थे चीनियों को वीजा

CBI में दर्ज केस के मुताबिक इन लोगों पर आरोप है कि ये लोग चीनी कंपनियों में कार्यरत चीनी नागरिकों से घूस लेकर गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित सीमा से ज्यादा लोगों को प्रोजेक्ट वीजा उपलब्ध कराते थे. वह भी उस समय जब कार्ति चिदंबरम के पिता केंद्र में मंत्री थे. पिता के पद का इस्तेमाल करते हुए कार्ति चिदंबरम ने चीन नागरिकों से कथित तौर पर 50 लाख रुपये घूस लेकर वीजा उपलब्ध कराया.

वहीं इस मामले में एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपियों में जिन चार लोगों की पहचान हुई है वे हैं चेन्नई में कार्ति चिदंबरम के निकट सहयोगी एस भास्कररमन, पंजाब के मनसा स्थित निजी कंपनी के प्रतिनिधि विकास मखाड़िया, मनसा में ही मेसर्स तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के प्रतिनिधि, मेसर्स बेल टूल्स लिमिटेड मुंबई और अन्य में अज्ञात लोकसेवक और निजी व्यक्ति हैं.

पिता के पद का किया दुरुपयोग

CBI के मुताबिक कार्ति चिदंबरम ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर पंजाब में बिजली कंपनी के लिए 263 चीनी नागरिकों को वीजा प्राप्त करने में मदद की. अधिकारियों ने बताया कि कार्ति पर 2011 में 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने के बाद चीनी नागरिकों को वीजा दिलवाने का आरोप है. उस वक्त कार्ति के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे. 

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इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आज सुबह सीबीआई के दल ने दिल्ली और चेन्नई में चिदंबरम पिता-पुत्र के आवास समेत देश के कई शहरों में 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. सीबीआई को भास्कररमन के कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव से 50 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन के कुछ दस्तावेज मिले थे, जिसके आधार पर एजेंसी ने प्रारंभिक जांच दर्ज की थी. प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री उपलब्ध थी.

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