डीएनए हिंदी: Chandrayaan 3 Updates- चंद्रयान-2 मिशन की तकनीकी असफलताओं के बाद इसरो ने 2 बजकर 35 मिनट पर चांद तक जाने के लिए चंद्रयान 3 को लॉन्च कर दिया. इसके साथ ही चंद्रयान चांद के 3 लाख 84 हजार किलोमीटर के लंबे और चुनौतीपूर्ण सफर पर निकल चुका है जो कि 40 दिन का होगा. इसरो के मुताबिक चंद्रयान 23 अगस्त को चांद पर लैंड करेगा. इसके साथ ही भारत अमेरिका चीन रूस क उस लिस्ट में शामलि हो जाएगा जो कि चांद पर लैंड कर चुके हैं.
चंद्रयान 3 को फैट बॉय के नाम से मशहूर रॉकेट LVM3 M4 उड़ा था. राकेट ने यान को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ दिया है. अब कुछ दिनों बाद यान पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ेगा जो कि उसके लिए काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है.
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1 अगस्त को चांद की कक्षा में जाएगा चंद्रयान-3
पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान 3 चांद की कक्षा में चक्कर लगाते हुए धीरे-धीरे उसकी निकटतम कक्षा में पहुंचेगा और वहां से लैंडर-रोवर चांद की सतह की ओर बढ़ेंगे. इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि एक अगस्त के बाद यान को चांद की कक्षा की ओर भेजा जाएगा, यह इसरो के लिए सबसे अहम पड़ावों में से एक होगा.
चंद्रयान-3 के मिशन डायरेक्टर एस मोहन कुमार ने कहा कि एलवीएम3 एक बार फिर भरोसेमंद राकेट साबित हुआ है. देश में सेटेलाइट्स की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए इसकी लॉन्चिंग बढ़ाने पर विज्ञानी काम कर रहे हैं. इस राकेट ने लगातार 6 सफल अभियानों में भूमिका निभाई है.
पिछले मिशन को पूरा करेगा चंद्रयान-3
इसरों के प्रोग्राम के मुताबिक चंद्रयान 3 चंद्रयान 2 के बचे हुए मिशन को पूरा करेगा. चांद से पृथ्वी की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है. पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान चांद की दूरी कम और ज्यादा होती है, जो कि अधिकतम 4 लाख किलोमीटर तक हो सकती है और न्यूनत दूरी 3.63 लाख किलोमीटर की है.
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए उस समय को चुना गया है जब चांद न्यूनतम दूरी पर होगा. लॉन्चिंग के करीब 16 मिनट बाद राकेट से यान अलग हो गया है. अब यान अगले कुछ दिन पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर काटेगा. इसके बाद सबसे निकटतम कक्षा 170 किमी और अधिकतम कक्षा 36,500 किमी पर होगी.
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कब करेगा चांद पर लैंडिंग
इसरो के मुताबिक पहली अगस्त के बाद यान चांद की कक्षा की ओर बढ़ेगा और चांद की अलग-अलग कक्षाओं में भी यान कुछ दिन चक्कर लगाएगा. 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर यान का लैंडर चांद पर उतरेगा और यदि वह इस मिशन में कामयाब होता है तो भारत अमेरिका रूस और सोवियत संघ (वर्तमान रूस) के चांद पर पहुंचने वाले क्लब में शामिल हो जाएगा.
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