डीएनए हिंदी: भारत और रूस के बीच चंद्रमा पर पहले पहुंचने की होड़ लगी है. चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से तक, अभी तक दुनिया का कोई देश नहीं पहुंचा है. भारत ने चंद्रमा के इसी हिस्से में खोज के लिए चंद्रयान-3 को भेजा है, वहीं रूस का लूना-25 भी इसी रेस में है. भारत इसे लेकर आश्वस्त है कि चंद्रयान-3 ही चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में पहले पहुंचेगा. चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर, सफलतापूर्वक प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया है और धीरे-धीरे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए आगे बढ़ रहा है. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अगर भारत का यह मिशन कामयाब होता है तो इसका लाभ पूरी दुनिया को मिलेगा.
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी जितेंद्र सिंह ने कहा है, 'भले ही संयुक्त राज्य अमेरिका और तत्कालीन यूएसएसआर ने हमसे बहुत पहले अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू कर दी थी और अमेरिका ने 1969 में चंद्रमा की सतह पर एक इंसान को भी उतारा था, फिर भी यह हमारा चंद्रयान ही था जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी की तस्वीरें खींचीं और दुनिया को चौंका दिया.'
जितेंद्र सिंह ने कहा, 'संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूने वाला एकमात्र देश होगा.' जितेंद्र सिंह को भरोसा है कि रूस के लूना-25 से पहले चंद्रयान-3, दक्षिणी ध्रुव तक पहुंच गया है.
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चंद्रयान-3 या लूना-25, चांद की रेस में आगे कौन?
भारत का चंद्रयान-3, 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. वहीं रूस का चंद्र अंतरिक्ष यान लूना-25 21 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 मिशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह 23 अगस्त को शाम 5.30 बजे से 6.00 बजे के बीच सुरक्षित लैंडिंग करेगा. अगर ऐसा हुआ तो 45 दिन पहले लॉन्च होकर भी चंद्रयान-3, लूना से पिछड़ जाएगा.
अंतरिक्ष में लगी पहले पहुंचने की रेस
चंद्रमा के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव की दौड़ भी तेज हो गई है और रूस का लूना-25 भी अगले सप्ताह चंद्रमा पर उतरने की तैयारी कर रहा है. दोनों यानों के चंद्रमा पर उतरने की संभावित तारीखों से संबंधित टकराव ने भी दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय में उत्साह बढ़ा दिया है. लूना-25 के चंद्र सतह पर उतरने की तारीख जहां 21-23 अगस्त है, वहीं चंद्रयान-3 के उतरने की तारीख 23-24 अगस्त है. चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र पर्यावरण और वहां से संबंधित कठिनाइयों के लिहाज से बहुत अलग भूभाग हैं और इसलिए ये अज्ञात बने हुए हैं. चंद्रमा पर पहुंचने वाले पिछले सभी अंतरिक्ष यान भूमध्यरेखीय क्षेत्र में, चंद्र भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में कुछ डिग्री अक्षांश पर उतरे थे.
क्यों खास है चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव?
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जांच इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके आसपास स्थाई छाया वाले क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी की संभावना हो सकती है. चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. चंद्रयान-3 को अलग-अलग हिस्सों में डिजाइन किया गया है. चंद्रमा से गुरुवार को प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो चुका है, वहीं विक्रम लैंडर, चांद की ओर बढ़ रहा है. दुनियाभर की नजरें, भारत के मिशन चंद्रयान-3 पर टिकी हैं. (इनपुट: PTI)
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