चंद्रमा से 25 KM दूर है चंद्रयान-3, उतरने के लिए तैयार विक्रम लैंडर, 23 अगस्त को होगी सॉफ्ट लैंडिंग

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 20, 2023, 06:56 AM IST

Chandrayan-3, 23 अगस्त को चांद पर रखेगा कदम.

अब विक्रम लैंडर एक ऐसी कक्षा में पहुंच गया है, जहां से चांद की न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर है.

डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-3 अब चंद्रमा से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है. रविवार को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर का दूसरा और अंतिम डी-बूस्टिंग ऑपरेशन सफल रहा है. अब विक्रम लैंडर, चंद्रमा के और नजदीक आ गया है. विक्रम लैंडर ने खुद को ऐसी कक्षा में स्थापित किया है. चंद्रमा और चंद्रयान-3 के बीच दूरी महज 25 किलोमीटर की है. चंद्रमा का सबसे दूरस्थ पॉइंट भी अब महज 134 किलोमीटर दूर रह गया है. 

ISRO ने कहा है कि इसी बिंदु से विक्रम लैंडर 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा की अनजान सतह पर पांव रखेगा. विक्रम लैंडर, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. यह बिंदु, दुनिया के लिए अभी तक अनजान है. लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान वाले लैंडर मॉड्यूल की डी-बूस्टिंग सफल रही है. इसकी वजह से चांद्रमा से दूरी  113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई है. 

इसरो ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X पर कहा, 'दूसरे और अंतिम डी-बूस्टिंग ऑपरेशन ने एलएम ऑर्बिट को सफलतापूर्वक 25 किमी x 134 किमी तक कम कर दिया है. मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और तय लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा. पावर्ड डिसेंट 23 अगस्त, 2023 को लगभग 17:45 बजे शुरू होने की उम्मीद है.'

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गुरुवार को, लैंडर मॉड्यूल उस प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग किया गया था. प्रोपल्शन मॉड्यूल, अब धरती की परिक्रमा करता रहेगा. यह वायुमंडल का अध्ययन करेगा और बादलों से प्रकाश के ध्रुवीकरण को मापेगा.

क्या होती है डीबूस्टिंग?
डीबूस्टिंग किसी सेटेलाइट को तय ऑर्बिट में उतारने के लिए गति धीमी करने की प्रक्रिया है. चंद्रयान-3 ने डिबूस्टिंग के जरिए ही गई ऑर्बिट को क्रॉस किया है. अब अगला लक्ष्य यह है कि यह सेटेलाइट ऐसी कक्षा में पहुंचे जहां से चंद्रमा से निकटतम बिंदु  30 किमी हो और सबसे दूरस्थ बिंदु 100 किमी हो.

अब तक कैसी रही चंद्रयान-3 की यात्रा?
14 जुलाई को अपने प्रक्षेपण के बाद, चंद्रयान -3 ने 5 अगस्त को चंद्रमा के ऑर्बिट में एंट्री ली थी. अगस्त में इसके दोनों मॉड्यूलों के अलग होने से पहले, 6, 9, 14 और 16 अगस्त को चंद्रयान, अलग-अलग डीबूस्टिंग प्रॉसेस से गुजरा. अब 23 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग का इंतजार है.

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