चांद के करीब पहुंचा विक्रम लैंडर, कैसे मंजिल की ओर बढ़ रहा चंद्रयान-3? देखिए

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 18, 2023, 04:29 PM IST

23 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा चंद्रयान-3.

Chandrayaan-3 की Deboosting प्रक्रिया शुरू हो रही है. अब विक्रम लैंडर, धीरे-धीरे चांद के नजदीक बढ़ रहा है. अब चांद्रयान-3 और चंद्रमा के बीच की दूरी 100 किलोमीटर रह गई है.

डीएनए हिंदी: चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होकर चांद की ओर आगे बढ़ रहा है. अब विक्रम लैंडर डी-बूस्टिंग प्रक्रिया से गुजरने के लिए पूरी तरह से तैयार है. डी-बूस्टिंग की प्रक्रिया शाम 4 बजे से शुरू होगी. डी-बूस्टिंग, किसी यान को ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए एक धीमी प्रक्रिया होती है. यहां से चंद्रमा का निकटतम बिंदु (Perilune) 30 किलोमीटर रह जाएगा, वहीं सबसे दूरस्थ बिंदु (Apolune) 100 किलोमीटर रह जाएगा. 

IRSO ने कहा था कि प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर सफलतापूर्वक अलग होकर अपनी राह पर बढ़ चुका है. अगला लैंडर मॉड्यूल डोरबिट 4 बजे शुरू होने के लिए तैयार है. चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर का नाम विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है.

23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी निर्धारित लैंडिंग से एक सप्ताह पहले, अंतरिक्ष यान ने बुधवार को चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान की अंतिम मून-बाउंड ऑर्बिट की ओर बढ़ना शुरू किया था. 

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धीरे-धीरे चांद की ओर बढ़ रहा है चंद्रयान-3
अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक GSLV मार्क 3 (LVM-3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया गया था, जिसे 5 अगस्त को चंद्रमा के ऑर्बिट में पहुंचाया था. यह अंतरिक्ष यान, बीते कई सप्ताह से चांद की ओर बढ़ रहा है. ISRO ने इसे 14 जुलाई को लॉन्च किया था.

इतिहास रचने के लिए तैयार है ISRO

चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. इसरो चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने की कोशिश कर रहा है. अगर चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफल रही तो भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.

क्या होगा विक्रम लैंडर का काम?
भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 का मकसद, चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग है. चंद्रमा की सतह पर विक्रम रोवर, नए अनुसंधान करेगा. वहीं प्रोपल्शन मॉड्यूल, चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाएगा और चांद पर नजर रखेगा. चंद्रयान -3 की शुरुआत जनवरी 2020 में हुई थी. इसे लॉन्च करने की योजना साल 2021 में बनाई गई थी. COVID-19 महामारी की वजह से यह मिशन प्रभावित हुआ था. साल 2019 में भारत ने चंद्रयान-2 अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश की थी. यह लैंड करने में असफल रहा था लेकिन कुछ हिस्से काम कर रहे थे.

क्या फेल हो गया था चंद्रयान-2?
चंद्रयान-2 की वजह से चांद पर सोडियम के भंडार का पता चला था. क्रेटर के बारे में कुछ जानकारियां मिली थीं, वहीं IIRS उपकरणों के जरिए चांद पर पानी की मौजूदगी तलाशी जा रही थी. 

चंद्रयान-3 से क्यों हैं ज्यादा उम्मीदें?
ISRO के मुताबिक चंद्रयान-1 मिशन के दौरान, उपग्रह ने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 ज्यादा परिक्रमा की थी. 29 अगस्त 2009 को अंतरिक्ष यान के साथ इसरो का संपर्क टूट गया था. ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पिछले सप्ताह चंद्रयान 3 पर कहा था कि सबकुछ योजना के मुताबिक ही चल रहा है. अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, 'अब सब कुछ ठीक चल रहा है. 23 अगस्त को उतरने तक कई तरह की गतिविधियां होंगी. सेटेलाइट ठीक है.'

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चंद्रमा, धरती के भी कई राज सुलझा सकता है. चांद पर जीवन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. सौर मंडल के बाकी हिस्सों के कई राज चंद्रयान-3 सुलझा सकता है. चांद का दक्षिणी हिस्सा, दुनिया के लिए अभी एक अनजान पहली की ही तरह है. चंद्रयान-3 इससे जुड़े कई राज सुलझा सकता है.

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