डीएनए हिंदी: भारत का महत्वाकांक्षी चंद्रमिशन चंद्रयान-3 बेहद सफल रहा. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, चांद पर लगातार 15 दिन जगने के बाद हमेशा के लिए सो गए हैं. चंद्रयान-3 ने चंद्रमा से कई आंकड़े जमा किए हैं. अभियान के दौरान विक्रम लैंडर ने उछाल भरी थी. यह एक प्रयोग था, जिसे हॉप एक्सपेरीमेंट कहते हैं. आने वाले दिनों में भारत जब अपने अगले चंद्र मिशन पर होगा, तब यह प्रयोग, बेहद उपयोगी साबित हो सकता है.
दिलचस्प बात यह है कि ISRO ने इसकी प्लानिंग पहले ही नहीं की थी. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद जब प्रज्ञान रोवर, विक्रम लैंडर से अलग होकर चंद्रमा की सतह तलाश रा था, तभी विक्रम लैंडर ने जंप कर दिया. चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट निदेशक पी वीरामुथुवेल ने बताया कि विक्रम लैंडर का चंद्रमा पर कूदने का यह प्रयोग नियोजित नहीं था.
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पहले से प्लान नहीं था हॉप एक्सपेरीमेंट
पी वीरामुथुवेल ने कहा है कि विक्रम का उछलना, प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं था. विक्रम लैंडर, चांद की सतह की पड़ताल कर रहा था. जब कूदने का एक्सपेरीमेंट हुआ तब विक्रम लैंडर ने पहले इंजन को फायर कमांड दिया और पूर्व निर्धारित क्षमता के अनुसार 40 सेमीमीटर तक उछला. जैसे ही चंद्रयान-3 ने उछाल भरी, शिवशक्ति पॉइंट से 30 से 40 सेंटीमीटर दूर पहुंच गया.
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क्यों अहम है ये प्रयोग?
यह प्रयोग बेहद अहम है. यह बताता है कि चंद्रयान-3 के पास ताकत है कि खुद को सतह से ऊपर उठा सकता है. भविष्य में चंद्रमा से इस प्रयोग के जरिए सैंपल इकट्ठा करना, आसान होगा. यह मुश्किल काम नहीं होगा. यह उम्मीद जगी है कि इसरो, चंद्रमा पर ऐसे प्रयोग कर सकता है.
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