डीएनए हिंदी: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसले के दौरान सुनवाई करते हुए कहा कि यदि कोई पत्नी अपने पति को उसके माता-पिता से अलग होने के लिए बाध्य करती है और उसे झूठे दहेज की मांग के मामले में फंसाने की धमकी देती है तो यह मानसिक क्रूरता होगी. जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की खंडपीठ 21 फरवरी, 2017 को कोरबा में एक फैमिली कोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. एक पति द्वारा क्रूरता के आधार पर दी गई तलाक की यह याचिका खारिज कर दी गई थी.
पति ने कई बार की सुलह की कोशिश
रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों के आधार पर न्यायाधीशों के सामने आया कि दंपति की शादी मुश्किल से दो महीने तक चली. इससे पहले उनके बीच मतभेद पैदा हो गए. पत्नी अक्सर अपना ससुराल छोड़कर मायके चली जाती थी. यहां तक कि उसके पिता ने भी पति को ससुराल के बजाय अपने घर में रहने की जिद की. पति ने सुलह की कई कोशिशें की, लेकिन कोई हल नहीं निकला.
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पति ने कई बार की सुलह की कोशिश
न्यायधीशों ने परिवार की स्थिति नोटिस करते हुए यहां तक कहा, 'ऐसा लगता है कि पति की तुलना में आर्थिक स्थिति के मामले में पत्नी अपने समाज में उच्च स्तर की है, इसलिए वह उसके साथ रहना चाहती है लेकिन अपने ससुराल वालों के साथ नहीं. इसलिए वह हमेशा इस संबंध में उस पर मानसिक दबाव बनाती है.' न्यायाधीशों ने कहा कि पति के पिता एक वृद्ध सेवानिवृत्त कर्मचारी थे. उसका एक छोटा भाई भी है. ऐसे निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों में यह बड़े बेटे ( इस स्थिति में पति) की ही जिम्मेदारी है कि वह अपने माता-पिता की देखभाल करे. ऐसी स्थिति में यदि कोई पत्नी लगातार अपने पति को परिवार से अलग होने और अपने पैतृक घर में रहने के लिए बाध्य करती है या धमकी देती है तो यह पति के साथ मानसिक क्रूरता है. इसी के साथ पीठ ने पति को मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक का आदेश दिया.
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