क्या 'ड्रैगन' ने LAC पर तैनात की Robot Army? सूत्र बोले- यही दिलाएंगे इन्हें लद्दाख की सर्दी से राहत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 07, 2022, 07:07 PM IST

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Ladakh में LAC पर चीनी सैनिकों को बहुत ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वहां की ठंड चीनी सेना की सबसे बड़ी दुश्मन बनी हुई है.

डीएनए हिंदी: लद्दाख में LAC पर मंसूबे पूरी तरह से विफल होने के बाद अब ड्रैगन दुष्प्रचार पर उतर आया है. पिछले दिनों चीनी मीडिया ने दावा किया था कि PLA ने LAC पर रोबोटिक जवान तैनात किए हैं. अब ग्राउंड जीरो पर मौजूद भारतीय सुरक्षाबलों (Indian Security Forces) ने चीन के इन दावों की हवा निकाल दी है.

भारतीय सुरक्षाबलों से जुड़े सूत्रों ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि अभी तक ऐसा कोई सैनिक सीमाओं पर नहीं देखा गया है, लेकिन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए ऐसा करना मददगार होगा क्योंकि उनके सैनिकों को लद्दाख में कड़ाके की सर्दी का सामना करने में बहुत मुश्किल हो रही है.

ठंड बनी चीनी सेना की दुश्मन!

आपको बता दें कि साल 2020 में लद्दाख में LAC पर शुरू हुए विवाद के बाद यह लगातार दूसरा साल है, जब चीनी सैनिकों को उनके सीनियर्स द्वारा भीषण ठंड में खड़े रहने के लिए मजबूर किया गया है. लद्दाख में LAC पर इस समय तापमान शून्य से 20 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच है.

भारतीय सुरक्षाबलों से जुड़े सूत्रों ने ANI को बताया कि हमें अभी तक बंदूकों से लैस इन रोबोटिक सैनिकों में से कोई भी नहीं मिला है. लेकिन अगर चीनी सेना ऐसा कर रही है, तो इससे उनके सैनिकों को मदद मिलेगी, जिन्हें वहां की परिस्थियों का सामना करना मुश्किल हो रहा है.

बैरक से नहीं निकलते चीनी सैनिक

सूत्रों ने बताया कि LAC पर तैनात चीनी सैनिकों को अपने बैरक से बाहर आना मुश्किल हो रहा है. वो कई स्थानों पर बहुत कम समय के लिए ही बाहर निकलते हैं और जल्दी से अंदर चले जाते हैं. पिछले साल भी उन्हें इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा था. इसके बाद चीनी सेना को पिछली गर्मियों में 90 प्रतिशत नए सैनिकों को तैनात किया था क्योंकि पुराने सैनिक भीषण ठंड की वजह से बीमार पड़ गए थे.

उन्होंने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में friction points पर तैनाती के दौरान भी चीनी सैनिकों को लगभग हर रोज उच्च ऊंचाई वाली चौकियों पर बदला जा रहा था और वहां भी उनकी मूवमेंट न के बराबर थी.

चीनी फौज पर लगातार भारी पड़ ही है भारतीय सेना

आपको बता दें कि भारतीय सेनाएं उच्च ऊंचाई और पर्वतीय युद्ध के लिए शारीरिक रूप से अभ्यस्त हैं और प्रतिकूल मौसम की स्थिति और उबड़-खाबड़ इलाकों से निपट सकती हैं. भारतीय सेना दो साल की अवधि के लिए ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपने सैनिकों को तैनात करती है और हर साल लगभग 40-50 प्रतिशत सैनिकों को रोटेट किया जाता है.

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