भारत की सख्ती से बौखलाया चीन, अरुणाचल को बताया अपना प्राचीन हिस्सा

कृष्णा बाजपेई | Updated:Jan 01, 2022, 11:35 AM IST

चीन ने अरुणाचल के 15 इलाकों के नाम बदलकर भारत को धमकी दी थी. भारत की प्रतिक्रिया के बाद अब ड्रैगन और बौखला गया है.

डीएनए हिंदी: भारत के साथ चीन का इतिहास ही सीमा विवाद से जुड़ा रहा है जिसकी वह उसकी विस्तारवादी नीतियां रही हैं. कभी जम्मू-कश्मीर, कभी लद्दाख तो कभी अरुणाचल प्रदेश... ऐसे में पिछले डेढ़ साल से जहां चीन लद्दाख में भारत से टकराव की स्थिति में है तो वहीं तिब्बती निर्वासित सरकार  के कार्यक्रम भारतीय सांसदों की मौजूदगी से चीन आगबबूला हो गया है. इस स्थिति में ड्रैगन ने एक बार फिर पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश पर अपना फर्जी दावा ठोंकना शुरू कर दिया है लेकिन भारत द्वारा ज्यादा तवज्जो न मिलने पर उसकी बौखलाहट अलग स्तर पर जा चुकी है. 

अरुणाचल पर किया दावा 

चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोका है. ड्रैगन ने कहा है कि अरुणाचल प्राचीन काल से चीन का हिस्सा रहा है. चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे चीन की संप्रभुता के आधीन बताया है.  दरअसल, हाल ही में चीन ने अरुणाचल के 15 इलाकों के फर्जी नाम बदल दिए जिसका भारत ने जवाब देते हुए इसे मनगढ़ंत और ख्याली पुलाव बता दिया. भारत का ये नजरंदाज करने वाला‌ रवैया चीन को चुभा है और चीनी विदेश मंत्रालय इस मुद्दे पर गीदड़भभकी भरे दावे कर रहा है. 

चीनी विदेश मंत्रालय ने दिया बयान 

भारत ने चीन की हरकतों पर स्पष्ट कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और नाभ बदलने से तथ्य नहीं बदलेंगे. ऐसे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, “जंगनान चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है. यह प्राचीन काल से चीन का क्षेत्र रहा है.” इससेे पहले अपने एक बयान में उन्होंने कहा था, “तिब्बत का दक्षिणी भाग चीन के तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र से संबंधित है और यह चीन का अंतर्निहित हिस्सा रहा है.” 

गौरतलब है कि चीन अरुणाचल को जंगनान ही कहता है. ऐसे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियान ने कहा, “विभिन्न जातीय समूहों के लोग उस क्षेत्र में कई वर्षों से रह रहे हैं और उन्होंने उस क्षेत्र के लिए कई नाम दिए हैं.” चीनी प्रवक्ता ने इसे अपनी संप्रभुता से जोड़ते हुए कहा, “इस क्षेत्र के मानकीकृत प्रबंधन के लिए चीन में सक्षम अधिकारियों ने प्रासंगिक नियमों के अनुसार संबंधित क्षेत्र के लिए नाम प्रकाशित किए हैं. ये ऐसे मामले हैं जो चीन की संप्रभुता के अधीन हैं।” 

पहले भी खड़े कर चुका है विवाद

ऐसा नहीं है कि चीन‌ ने ये दावा कोई पहली बार किया है. इससे पहले ड्रैगन ने 2017 में 6 स्थानों के नामकरण की कोशिश की थी. चीन शीर्ष भारतीय नेताओं और अधिकारियों के अरुणाचल प्रदेश के दौरे का विरोध करता रहता है. इतने विवाद खड़े करने के बावजूद चीन की मुश्किल ये रही है कि उसे अब इन मुद्दों पर तवज्जो नहीं मिलती है. इसका नतीजा है कि आए दिन चीन भारत को गीदड़भभकी देता रहता है.

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