Coal Crisis: देश में गहराया कोयला संकट, मंडरा रहा है Black Out का खतरा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 30, 2022, 07:02 AM IST

देश में बिजली की डिमांड के मुताबिक आपूर्ति ही नहीं हो पा रही है. ऊर्जा संकट की वजह कोयला की किल्लत है.

डीएनए हिंदी: उत्तर भारत समेत पूरे देश में गर्मी लोगों को बेहाल कर रही है और स्थिति यह है कि पारा 45 डिग्री को पार कर 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने को बेताब है. ऐसे में देश में बिजली की खपत भी बढ़ गई हैं और इसके चलते कोयले का संकट (Coal Crisis) खड़ा हो गया है. डिमांड की बात करें तो शुक्रवार को यह रिकॉर्ड 207 गीगावाट तक पहुंच गई. वहीं देश के कई इलाकों में लंबा पावर कट भी हुआ और इस मांग को पूरा करने में सबसे बड़ी दिक्कत  कोयले की ही है.

रिकॉर्ड स्तर पर खपत

ऊर्जा मंत्रालय ने 29 अप्रैल की रात में ट्वीट कर बताया कि देश में शुक्रवार दोपहर 2:50  मिनट पर 207 गीगावाट ऊर्जा की मांग को पूरा किया गया. भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति का ये अब तक का सबसे बड़ा रिकार्ड है.   कुछ ही दिन पहले ऊर्जा मंत्रालय ने ट्वीट कर ऊर्जा आपूर्ति का पिछले साल जुलाई 2021 का रिकार्ड तोड़ा था. वहीं मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि मई जून के महीनें में ऊर्जा की मांग 215-220 गीगा वाट तक पहुंच सकती है जो कि एक बड़ी समस्या का विषय भी बन सकती है.   

किसानों की भी बढ़ी डिमांड

दरअसल, इस साल मार्च और अप्रैल दोनों महीनों ने गर्मी के कई दशकों के रिकार्ड तोड़े हैं. ऐसे में आम उपभोक्ताओं की खपत में भी भारी इजाफा हुआ है. इसके अलावा किसानों को अगली फसल के अपने खेत तैयार करने है. गर्मी की मार की वजह से उन्हे फसल बोने के पर्याप्त नमी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में उन्हे सिंचाई के लिए इस बार ज्यादा बिजली की जरुरत पड़ रही है.

बिजली की भारी कमी

वहीं इस मामले में ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाईट National Power Portal  के अनुसार 28 अप्रैल को देश में 10,770 मेगावाट की कमी थी. कई राज्यों में लंबे लंबे पावर कट देखे गए. मंत्रालय के डाटा के हवाले से 29 अप्रैल की पीक डिमांड 199,000 मेगावाट की थी, जिसमें से 188,222 मेगावाट की ही आपूर्ति हो पाई.  

जानकारी के मुताबिक पीक मांग 1,99,000  मेगावाट रही. वही पीक आपूर्ति 1,88,222 मेगावाट की ही हुई. ऐसे में 10,778 मेगावाट बिजली की कमी देखने को मिली जो कि एक बड़ा झटका माना जा रहा है.  

मात्र 5 दिन से कम का स्टॉक

आपको बता दें कि कोयले की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए रेलवे ने विशेष ट्रेनें इस काम में लगाई हैं. देश में कोयला आधारित बिजली प्लांट के लिए 26 दिनों के कोयले के स्टाक का मानक तय किया गया है. मगर देश के करीब 81 पावर प्लांट में 5 दिनों से कम का ही कोयला बचा हुआ है. वहीं 47 ऐसे संयत्र हैं, जिनमें 6-15 दिन का ही कोयला स्टॉक हैं. 16 दिन से 25 दिनों के कोयला स्टॉक वाले पॉवर प्लांट केवल 13 हैं. 

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कोयले की इस कमी के चलते ही दिल्ली सरकार ने दिल्ली मेट्रो के ठप होने की आशंका तक जता दी है और केंद्र से मदद की गुहार लगाई है. ऐसे में यदि कोयले की यह मांग समय पर पूरी नहीं की गई तो देश में ब्लैक आउट का संकट खड़ा हो सकता है. 

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