Haryana Assembly Election Result: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस ने अपनी अप्रत्याशित हार के बाद गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission Of India) से शिकायत की थी, जिसका चुनाव आयोग ने 1600 से ज्यादा पेज में तीखा जवाब दिया था और सारे आरोप खारिज कर दिए थे. चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार बताते हुए लिखित फैसले में पार्टी की बेहद आलोचना की थी. कांग्रेस ने इसके लिए चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पार्टी ने चुनाव आयोग पर अपने नेताओं को निशाना बनाने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी देकर उन्हें चुप कराने की कोशिश करने के आरोप लगाए हैं. शुक्रवार को कांग्रेस ने इसे लेकर बेहद कड़े शब्दों में एक पत्र चुनाव आयोग को लिखा है, जिसमें कहा गया है कि उसके सभी आरोप मुद्दे (चुनावी गड़बड़ी) तक ही सीमित रहे हैं और सभी कम्युनिकेशन्स में पार्टी ने मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्तों के सम्मान का पूरा ध्यान रखा है. लेकिन चुनाव आयोग अपने जवाब में अपमानजनक लहजे का इस्तेमाल कर रहा है.
'तटस्थ नहीं होने के आखिरी किनारे पर है चुनाव आयोग'
कांग्रेस ने अपने पत्र में चुनाव आयोग पर तटस्थ नहीं होने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने लिखा,'यदि मौजूदा चुनाव आयोग का लक्ष्य अपनी तटस्थता के आखिरी किनारे तक पहुंचकर इसे भी समाप्त करना है तो वह यह धारणा बनाने में उल्लेखनीय काम कर रहा है. ' कांग्रेस ने लिखा कि चुनाव आयोग का खुद को क्लीन चिट देना बिल्कुल चौंकाने वाला नहीं है. लेकिन चुनाव आयोग के जवाब की भाषा, भाव, स्वर और आरोपों ने पार्टी (कांग्रेस) को इसका जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया है.
नौ सीनियर कांग्रेस लीडर्स ने किए हैं पत्र पर हस्ताक्षर
चुनाव आयोग को भेजे गए पत्र पर 9 सीनियर कांग्रेस लीडर्स ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें अजय माकन, केसी वेणुगोपाल और अशोक गहलोत आदि शामिल हैं. पत्र में पार्टी ने लिखा कि चुनाव आयोग ने उठाए गए मुद्दों पर उसके साथ बात करने को असाधारण बताया है, लेकिन वह भूल गया है कि ऐसा करना उसका कर्तव्य है. दूसरा, चुनाव आयोग के कांग्रेस को भेजे गए हालिया जवाब की भाषा ऐसी है कि हम इसे हल्के में नहीं ले सकते.
'हमारे लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा गया है'
कांग्रेस ने लिखा,'चुनाव आयोग की तरफ से हर जवाब पार्टी या उसके नेताओं पर निजी हमले जैसा महसूस हो रहा है. इसके उलट कांग्रेस के सारे जवाब सिर्फ मुद्दे (चुनाव परिणाम में गड़बड़ी) तक ही सीमित रहे हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्तों के प्रति बेहद सम्मान दिखाते हुए लिखे गए हैं. याद रखना चाहिए कि जो जज फैसला लिखते हैं, वे मुद्दा उठाने वाले पक्ष को बुरा नहीं कहते और उस पर हमला नहीं करते हैं. चुनाव आयोग ने हमारे सामने कोई मौका नहीं छोड़ा है और अब हमे चुनाव आयोग के ऐसे बयानों के खिलाफ कानूनी विकल्प का सहारा लेना पड़ेगा. चुनाव आयोग इस प्रक्रिया से पहले भी वाकिफ हो चुका है, जब उसने कोराना महामारी के बाद हाई कोर्ट की अप्रिय, लेकिन सटीक टिप्पणियों के खिलाफ भी ऐसा ही करने की कोशिश की थी.'
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