डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत पर भारत और चीन ने जो अलग-अलग विचार पेश किए हैं वे साधारण अथवा बनावटी नहीं हैं बल्कि सरकार की ओर जनता को दिए जा रहे भरोसे और हकीकत में अंतर को दिखाते हैं.
चिदंबरम ने माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच मुलाकात के बाद भारत के बयान और चीन के बयान के बीच का अंतर कोई साधारण या दिखावटी अंतर नहीं है. यह पहली बार नहीं है कि दोनों देशों के बयानों में व्यापक अंतर है. उन्होंने कहा कि अंतर मौलिक है.'
जोहॉन्सबर्ग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के दो दिन बाद भारत और चीन ने शुक्रवार को इस बारे में अलग-अलग राय रखी कि किस पक्ष ने बातचीत की पहल की. हालांकि भारतीय सूत्रों ने कहा कि द्विपक्षीय बैठक के लिए चीन का अनुरोध लंबित था. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर बुधवार को बातचीत की थी. यह बातचीत एक व्यवस्थित द्विपक्षीय बैठक नहीं थी, बल्कि एक अनौपचारिक बैठक थी.
क्यों पी चिंदबरम ने उठाए हैं सवाल?
चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा मोदी-शी की बातचीत पर एक बयान जारी किए जाने के कुछ घंटों बाद भारतीय पक्ष के सूत्रों ने कहा कि द्विपक्षीय बैठक के लिए चीनी पक्ष की ओर से एक अनुरोध लंबित था. चीन के बयान में कहा गया था कि यह भारतीय पक्ष के अनुरोध पर आयोजित की गई थी. इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, हालांकि, ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने लीडर्स लाउंज में अनौपचारिक बातचीत की थी.
चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 23 अगस्त को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुरोध पर उनसे बात की. प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में शी ने इस बात पर जोर दिया कि चीन-भारत संबंधों में सुधार से साझा हित सधते हैं और यह विश्व एवं क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता के अनुकूल है. भारत और चीन के बयानों में अंतर की वजह से विपक्ष इस बातचीत पर सवाल उठा रहा है.