क्या थल, जल और वायु सेना से भी ज्यादा घातक है Cyber Army?

| Updated: Feb 27, 2022, 08:02 PM IST

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साइबर युद्ध में किसी भौतिक युद्ध के मुकाबले बहुत कम प्रयास और लागत लगती है जबकि नुकसान कहीं ज्यादा हो सकता है.

  • बृजेश सिंह

मौजूदा वक्त में युद्ध के तरीके बदल गए हैं. दुनिया के ज्यादातर देश हथियारों से लड़ने के बजाय साइबर युद्ध के जरिए अपने दुश्मन को बर्बाद करने की हसरत रखते हैं. भू-राजनीतिक संघर्षों में साइबर हथियार पहली पसंद बन गए हैं. दरअसल साइबर तरीके से कोई भी देश अपने दुश्मन देश के पूरे इलाके को प्रभावित कर सकता है. ऐसा करने में किसी भौतिक युद्ध के मुकाबले बहुत कम प्रयास और लागत लगती है जबकि नुकसान कहीं ज्यादा हो सकता है.

साइबर हमलों के एक विशेष खूबी इनका अचूक निशाना होता है. साइबर हमले अधिकतम प्रभाव के साथ टारगेट को चुनने और नष्ट करने में मददगार होते हैं. एक बार सफल होने के बाद साइबर हमले बहुत सटीक परिणाम उत्पन्न करते हैं. साइबर ऑपरेशन शुरू करने के लिए बेहद कम समय की जरूरत होती है. ऐसे हमले सैन्य और गैर-सैन्य बुनियादी ढांचे की हैकिंग में मददगार साबित होते हैं और गुप्त जानकारी एकत्र करने की क्षमता प्रदान करते हैं.

साइबर हमलों (Cyber Attacks) के जरिए हाई वेल्यू डिजिटल टारगेट्स तक पहुंच बनाई जाती है. इनके जरिए बैक डोर अटैक, किल स्विच और दुश्मन के प्लान को आसानी से ध्वस्त किया जा सकता है. युद्ध के मैदान के लिए की जाने वाली तैयारी के अलावा साइबर हमले हमलावर को फायदे वाली स्थिति प्रदान करते हैं.

सूचना वातावरण में अपने मन मुताबिक बदलाव के लिए बॉट फॉर्म, ट्रोल फार्म, सॉक पप्पेट्स, समझौता किए गए उपकरण, नकली व्यक्तियों की एक डिजिटल सेना उपयोग की जाती है. इसका उद्देश्य सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र को प्रभावित करना, नियंत्रित करना और प्रतिकूल रूप से प्रभावित करना है.

कई बार साइबर हमलों के जरिए मौजूदा शासन को अस्थिर करने और मित्रवत राजनेताओं या सामाजिक हस्तियों को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है. इसके अलावा साइबर हमलावर जातीय, सांप्रदायिक, राजनीतिक और धार्मिक विभाजन का उपयोग स्थानीय आबादी को विभाजित करने और विरोधी सरकार के समर्थन को कम करने के लिए किया जाता है.

लेखक बृजेश सिंह सीनियर IPS अधिकारी हैं. वो साइबर सिक्योरिटी मामले में एक्सपर्ट हैं. 

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