डीएनए हिंदी: तिब्बत की आजादी के लिए लंबे वक्त तक संघर्ष करने वाल बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने आज चीन को लकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वे चीन से टकराव की स्थिति में नहीं है और न ही तिब्बत को चीन से अलग कर आजादी चाहते हैं. दलाई लामा ने कहा है कि चीन के कई लोग उनसे बात करने की कोशिश करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि चीन को यह समझना होगा कि तिब्बत के लोगों का रहन सहन और संस्कृति अलग है. उन्होंने कहा कि चीन को इसे स्वीकार करना चाहिए.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में मीडिया से बात करते हुए बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा, "हां, मैं हमेशा बातचीत के लिए तैयार हूं. चीन को समझना चाहिए कि तिब्बत के लोग बहुत आध्यात्मिक रूप से बहुत मज़बूत हैं, तिब्बत की समस्या के समाधान के लिए उन्हें मुझसे बात करनी चाहिए. मैं भी तैयार हूं."
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चीन को लेकर क्या बदल गई दलाई लामा की राय
दलाई लामा चीन पर हमेशा ही तिब्बत कब्जाने का आरोप लगाते रहे हैं. लामा तिब्बत की आजादी के लिए वैश्विक मंचों से आवाज उठा चुके हैं. उन्होंनें चीन पर तिब्बतियों के साथ अत्याचार करने तक के आरोप लगाए हैं लेकिन अब उनका बयान कुछ अलग है. अपने लेटेस्ट बयान में दलाई लामा ने कहा, "स्वतंत्रता नहीं चाहते, हमने कई सालों से तय कर लिया है कि हम चीन का हिस्सा बना रहने के लिए तैयार हैं, चीन बदल रहा है, चीन औपचारिक या अनौपचारिक तरीके से मुझे संपर्क करना चाहते हैं."
पीएम मोदी ने हाल ही में की थी फोन पर बात
बता दें कि हाल ही में दलाई लामा के 88वें जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दी थीं. पीएम मोदी ने इस मौके पर उनसे फोन पर काफी लंबी बातचीत की थी और बाद में इसको लेकर ट्वीट भी किया था. उन्होंने लिखा था कि 88वें जन्मदिन के अवसर पर धर्मगुरु दलाई लामा से फोन पर बात की. हम उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं. बता दें कि दलाई लामा को पीएम मोदी द्वारा मिली बधाई के चलते ही चीन पिछले वर्ष बौखला गया था, और भारत को इशारों में धमकिया भी दी थीं.
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कौन हैं दलाई लामा, तिब्बत से क्या है संबंध
गौरतलब है कि दलाई लामा हमेशा ही तिब्बत की आजादी की बात करते रहे हैं. वह 1956 में चीन के डेलीगेशन के साथ भारत दौर पर आए थे. रिपोर्ट्स के अनुसार दलाई लामा ने उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से तिब्बत की आजादी की मांग की थी. जिसपर उन्होंने दलाई लामा को सलाह दी थी कि उन्हें ऑटोनॉमी की मांग करनी चाहिए. बता दें कि दलाई लामा का तिब्बतियों पर काफी प्रभाव है, इसी बात से चीन को तिब्बत में अलगाववाद का डर सताया करता है.
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असल में दलाई लामा एक पद क नाम है. इसका अर्थ होता है ज्ञान का महासागर. दलाई लामा का मुख्य नाम ल्हामो थोंडुप है, जो कि तिब्बत के 14वें दलाई लामा हैं. उन्हें 22 फरवरी 1940 को ये पद दिया गया था. उस वक्त उनकी उम्र महज 5 साल थी. तिब्बतियों का मानना है कि दलाई लामा का चुनाव नहीं होता बल्कि उन्हें ढूंढा जाता है, क्योंकि उनके पास खुद इस बात का चुनाव करने की ताकत होती है कि वह किस शरीर में अपना अगला जन्म लेंगे.
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