Darul Uloom Deoband Fatwa Row: देश में इस्लामी शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र कहलाने वाले दारुल उलूम देवबंद ने एक ऐसा फतवा जारी कर दिया है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद कस्बे में मौजूद दारुल उलूम ने गजवा-ए-हिंद को मान्यता देने वाला फतवा अपनी वेबसाइट पर जारी किया है. यह फतवा किसी व्यक्ति की तरफ से मांगा गया था. इसमें गजवा-ए-हिंद (Ghazwa-e-Hind) यानी हिंसा के जरिये भारत में मुस्लिम सत्ता स्थापित करने को अल्लाह का हु्क्म मानते हुए इस्लामिक नजरिये से पूरी तरह वैध बताया गया है. साथ ही यह कहा गया है कि गजवा-ए-हिंद के लिए मरने वाले महान बलिदानी कहलाएंगे. बता दें कि गजवा-ए-हिंद शब्द का इस्तेमाल भारत में आतंकी हरकतों में शामिल संगठन करते रहे हैं. यह पूरी तरह देश विरोधी भावना है. ऐसे में दारुल उलूम जैसी संस्था के इसके समर्थन में फतवा जारी करने को बड़ी बात माना जा रहा है.
उधर, दारुल उलूम के इस फतवे को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बेहद गंभीरता से लिया है और सहारनपुर के जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस मामले में FIR दर्ज कराने का निर्देश दिया है. आयोग ने इसे बच्चों को आतंकवाद की राह पर चलने के लिए गुमराह करने वाला फतवा बताया है. अभी तक दारुल उलूम की तरफ से इसे लेकर कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है.
पहले जान लीजिए गजवा-ए-हिंद का मतलब
इस्लाम में गजवा और गाजी, दो शब्द बेहद अहम माने गए हैं. गाजी का मतलब होता है इस्लाम को फैलाने और मुस्लिम सत्ता स्थापित करने के लिए जंग लड़ने वाला लड़ाका, जबकि गजवा मुस्लिम सत्ता स्थापित करने के लिए की जाने वाली जंग को कहते हैं. गजवा-ए-हिंद का मतलब भारत में युद्ध या हिंसा के जरिये मुस्लिम सत्ता स्थापित करने से है यानी यहां की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को हटाकर शरीयत के कानून लागू करने और उनके अनुसार सत्ता चलाने वाली मुस्लिम सरकार की स्थापना करना.
क्या लिखा गया है फतवे में
फतवा दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट पर जारी किया गया है. इसमें गजवा-ए-हिंद को अल्लाह का हु्क्म बताया गया है. दारुल उलूम की वेबसाइट पर हदीस (Hadith) और सुन्नाह के तहत सवाल संख्या 9604 के जवाब में फतवा जारी किया है. इस फतवे में सुन्न अल नसा नाम की एक किताब का जिक्र किया गया है, जिसमें गजवा-ए-हिंद पर पूरा एक चैप्टर है. फतवे में दिया गया है कि देवबंद की मुख्तार कंपनी द्वारा प्रकाशित किताब में बताया गया है कि हजरत अबू हुरैराह ने हदीस के बारे में बताते हुए गजवा-ए-हिंद का जिक्र किया है. हजरत ने कहा है कि अल्लाह के मैसेंजर ने ‘भारत पर हमला’ करने का वादा किया था. अगर मैं जिंदा रहा तो इसके लिए मैं खुद और अपनी धन सम्पदा को कुर्बान कर दूंगा. मैं सबसे महान बलिदानी बनूंगा. फतवे में कई अन्य तरीके से भी गजवा-ए-हिंद का महिमामंडन किया गया है.
NCPCR ने बताया धारा 75 का उल्लंघन
दारुल उलूम के इस फतवे का राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने CPCR Law की धारा 13 (1) (TJ) के तहत स्वत: संज्ञान लिया है. आयोग ने इस मामले में सहारनपुर के DM-SSP को नोटिस देकर FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है. आयोग ने कहा है कि दारुल उलूम देवबंद मदरसे में बच्चों को भारत विरोधी शिक्षा देकर इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा है. यह किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के खिलाफ है. आयोग ने कहा है कि ऐसे फतवे की सामग्री से देश के खिलाफ नफरत फैल सकती है. दारुल उलूम देवबंद में बच्चों को ये पढ़ाया जा रहा है कि किस तरह से ‘गजवा ए हिन्द’ किया जाए. जो भी गजवा ए हिन्द के लिए अपनी जान देगा, वो सर्वोच्च बलिदानी कहा जाएगा. ये संस्था पूरे दक्षिण एशिया में मदरसों को संचालित करती हैं. इस तरह बच्चों को भारत पर हमले के लिए उकसाना बहुत ही खतरनाक है. इस मामले में जिला प्रशासन देशद्रोह की धाराओं के तहत केस दर्ज करे.
'कार्रवाई नहीं हुई तो प्रशासन की होगी जिम्मेदारी'
NCPCR ने चेताया है कि जल्द ही इसे लेकर कोई एक्शन नहीं लिया गया तो खुद जिला प्रशासन भी समान रूप से इसके लिए जिम्मेदार होगा. आयोग ने कहा है कि इस फतवे से देश की जनता को गुमराह किया गया है. इसलिए दारुल उलूम की वेबसाइट की जांच कर इसे तुरंत ब्लॉक किया जाए.
जिला प्रशासन ने कही है ये बात
सहारनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र सिंह ने NCPCR से निर्देश मिलने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, इस बारे में तत्काल एसएसपी सहारनपुर को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए कहा गया है. देवबंद के सीओ पुलिस और एसडीएम को भी अपने स्तर पर जांच करने और कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. यह गंभीर मामला है और इस मामले की जांच में जो लोग भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
जानिए दारुल उलूम के फतवे की क्या है हैसियत?
सहारनपुर के देवबंद कस्बे में मौजूद दारुल उलूम आजादी से भी पहले की संस्था है, जिसकी स्थापना मुस्लिम शिक्षा देने के लिए की गई थी. मुस्लिमों की दो अहम विचारधाराओं देवबंदी और बरेलवी में से एक का यह अहम केंद्र है, जिसका असर भारत ही नहीं पाकिस्तान और बांग्लादेश तक के मुस्लिमों पर भी है. दारुल उलूम के देवबंद स्थित मदरसे में इन तीनों देशों के लाखों बच्चे कुरान आधारित शिक्षा हासिल करते हैं. ऐसे कई मदरसे दारुल उलूम पूरे देश में चलाती है. दारुल उलूम से मुस्लिम समुदाय के लोग कुरान से जुड़ी किसी बात की व्याख्या के लिए फतवे मांगते रहते हैं. इन फतवों को पूरे मुस्लिम समुदाय पर लागू माना जाता है यानी इनमें कही गई बात को कुरान की भाषा मानकर हर मुस्लिम उसका पालन करता है.
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