डीएनए हिंदी: Delhi Air Pollution Latest News- दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर दिया गया है. शनिवार को हवा की क्वालिटी में थोड़ा सुधार आने के बाद सरकार ने एयर क्वालिटी अलर्ट लेवल में थोड़ा बदलाव किया है, जिसके बाद राष्ट्रीय राजधानी में डीजल ट्रकों की आवाजाही पर लगी रोक हटा ली गई है. शुक्रवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) 'गंभीर' स्तर पर था, जो शनिवार को चली तेज हवाओं के कारण थोड़ा सुधरकर 'बेहद खराब' की कैटेगरी में रह गया है. इसी कारण सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत लगे प्रतिबंधों में कई छूट दी हैं.
पूरे दिल्ली-NCR की हवा में आया सुधार
शनिवार शाम 4 बजे तक दिल्ली का AQI लेवल 317 दर्ज किया गया है, जबकि शुक्रवार को यह 405 पर पहुंचा हुआ था. दिल्ली ही नहीं उसके आसपास NCR के अन्य शहरों में भी शनिवार को सुधार दर्ज किया गया है. गाजियाबाद का AQI लेवल 274, गुरुग्राम का 346, ग्रेटर नोएडा का 258, नोएडा का 285 और फरीदाबाद का 328 दर्ज किया गया है.
GRAP की स्टेज-4 के प्रतिबंधों में दी गई है छूट
दिल्ली की हवा में अहम सुधार देखते हुए शनिवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) ने GRAP (Graded Response Action Plan) की स्टेज-4 के प्रतिबंधों को हटा लिया है. हालांकि CAQM ने यह भी कहा है कि दिल्ली-NCR में GRAP की स्टेज-1 से 3 तक के सारे प्रतिबंध अब भी लागू रहेंगे.
5 नवंब से लागू हुए थे स्टेज-4 के प्रतिबंध
राजधानी में 5 नवंबर को स्टेज-4 के प्रतिबंध लागू किए गए थे, जिनमें सबसे अहम दिल्ली में BS-VI मानक इंजन वाले वाहनों को छोड़कर हर तरीके के चार पहिया डीजल वाहनों के चलने पर लगा बैन था. इस दौरान दिल्ली में रजिस्टर्ड सामान ढोने वाले सभी तरह के मध्यम व हैवी डीजल वाहनों पर भी बैन लगा दिया गया था. हालांकि इनमें आवश्यक सेवाओं के वाहनों को छूट दी गई थी. अब इन वाहनों को दोबारा से दिल्ली में चलने की छूट मिल गई है.
दिल्ली के प्रदूषण में 45 फीसदी हिस्सा वाहनों का
दिल्ली सरकार और IIT Kanpur के वैज्ञानिकों के जॉइंट प्रोजेक्ट की रिसर्च में शुक्रवार को दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं की 45 फीसदी हिस्सेदारी आंकी गई थी. माना जा रहा है कि शनिवार को यह घटकर 38 फीसदी रह गई है. इस रिसर्च में पाया गया था कि दिल्ली के प्रदूषण में इनॉर्गेनिक एयरोसोल्स पारिटक्लस (सल्फेट व नाइट्रेट आदि) की मौजूदगी का कारण पॉवर प्लान्ट्स, रिफाइनरी और वाहनों से निकलने वाले धुएं में मौजूद गैस और पार्टिकुलेट पॉल्यूटेंट्स होते हैं. यह दिल्ली की हवा में प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा कारण हैं, जिनकी पिछले कुछ दिन के दौरान वायु प्रदूषण में 19 से 36 फीसदी तक हिस्सेदारी रही है.
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